पाकिस्तान ने अमेरिका के इस दावे का खंडन किया है कि वह अपने परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित करने के बारे में समझौता करने के लिए अमेरिका से बात कर रहा है। समाचार पत्र ‘द नेशन’ में सोमवार को आई खबर के अनुसार, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता काजी खलीलुल्लाह ने कहा, “दोनों देशों के बीच इस तरह के किसी भी करार पर चर्चा नहीं हुई है, न ही अमेरिका ने पाकिस्तान के सामने ऐसी कोई मांग रखी है।”
काजी ने कहा, “इतिहास इस बात का गवाह है कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ किसी भी देश की किसी शर्त को स्वीकार नहीं करते।”
प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा है कि प्रधानमंत्री पाकिस्तान के राष्ट्रीय हितों के संरक्षण की नीतियों में दृढ़ता से विश्वास रखते हैं।
शरीफ को रविवार रात अमेरिका की यात्रा पर रवाना होना था। उन्होंने अपनी यात्रा में विलंब किया ताकि, पाकिस्तान की खुफिया संस्था आईएसआई के मुखिया से मुलाकात कर सकें जो रविवार रात को ही अमेरिका से वापस लौटे थे।
शरीफ के खास सलाहकार सरताज अजीज और एजाज अहमद चौधरी पहले से वाशिंगटन पहुंचे हुए हैं। वे अमेरिकी अधिकारियों से द्विपक्षीय और क्षेत्रीय हितों के मुद्दों पर बात कर रहे हैं।
व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने गुरुवार को कहा था कि उन्होंने बात शुरू कर दी है, जिसका नतीजा अंतत: पाकिस्तान के बढ़ते हुए परमाणु जखीरे को नियमित करने की शक्ल में आएगा।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जोश अर्नेस्ट ने कहा था कि ऐसे किसी भी करार का आधार अमेरिका की यह चिंता है कि पाकिस्तान छोटे सामरिक परमाणु हथियारों की तैनाती की दहलीज तक पहुंच चुका है। ये हथियार वैसे ही हैं जैसे अमेरिका ने शीत युद्ध के दिनों में सोवियत संघ से निपटने के लिए यूरोप में तैनात किए थे।
अर्नेस्ट ने कहा, “लोगों के बीच इस बारे में बहुत चर्चाएं हो रही हैं। परमाणु हथियारों की सुरक्षा के मुद्दे पर अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और पाकिस्तान के संपर्क में है।”
लेकिन, अर्नेस्ट ने कहा था कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच वार्ता का माहौल अभी ऐसे स्तर पर नहीं है कि शरीफ के 22 अक्टूबर के अमेरिका पहुंचने से पहले इस पर कोई करार हो सके।
अमेरिका रवाना होने से पहले शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान एक जिम्मेदार परमाणु संपन्न सार्वभौम देश है। इसकी सामरिक संपत्तियां त्रुटिहीन व्यवस्था के तहत सुरक्षित रखी गई हैं।