अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जान एफ. कैनेडी के हत्यारे ली हार्वे ओस्वाल्ड की पीछे से ली गई फोटो नकली नहीं, बल्कि असली है। इसमें ओस्वाल्ड के हाथ में वैसी ही राइफल है जिस तरह की राइफल का इस्तेमाल कैनेडी की हत्या में किया गया था। डार्टमाउथ कालेज के एक नए अध्ययन में यह तथ्य उभरकर सामने आया है।
यह अध्ययन अब तक किए जाने वाले इस दावे को गलत साबित करता है कि यह फोटो नकली है, क्योंकि इसमें ओस्वाल्ड एक ऐसी मुद्रा (पोज) में है जिसमें होना शारीरिक रूप से संभव नहीं है।
अध्ययन में ओस्वाल्ड के 3डी मॉडल और एक नई तरह की डिजिटल इमेज फॉरेंसिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया।
अध्ययन में शामिल प्रोफेसर हेनी फारिद ने कहा, “ओस्वाल्ड की मुद्रा का विस्तृत विश्लेषण, प्रकाश और छाया तथा उसके हाथ की राइफल-सभी फोटो से छेड़छाड़ के तर्क को गलत साबित करती हैं।”
मुकदमा पूरा होने से पहले ही ओस्वाल्ड को मार डाला गया था। वह कभी भी नवंबर 1963 में की गई कैनेडी की हत्या का पूरा विवरण नहीं दे सका। इससे इन चर्चाओं को बल मिला था कि ओस्वाल्ड एक बड़ी साजिश का हिस्सा था।
इस फोटो को ओस्वाल्ड के खिलाफ सबूत के तौर पर पेश किया गया था। अपनी गिरफ्तारी के समय ओस्वाल्ड ने फोटो को नकली बताया था।
फोटो को नकली बताने वाले कहते रहे हैं कि इसमें नजर आ रही राइफल की लंबाई इस श्रेणी की राइफल से मेल नहीं खाती, प्रकाश और छाया में असंगति है, यह फोटो ओस्वाल्ड की अन्य फोटो से मेल नहीं खाती, वह ऐसी मुद्रा में खड़ा है जिसमें खड़ा होना इंसान के लिए संभव नहीं है, यानी वह असंतुलन की मुद्रा में है।
इन तमाम बातों का जवाब भी दिया जाता रहा है, लेकिन ओस्वाल्ड की मुद्रा (पोज) को लेकर आज तक कोई जवाब नहीं बन पड़ा था।
इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ओस्वाल्ड का शारीरिक रूप से संभव 3डी मॉडल बनाया और इसका मिलान ओस्वाल्ड की फोटो के साथ किया। इस अध्ययन से साबित हुआ कि भले ही ओस्वाल्ड असंतुलन की मुद्रा में दिख रहा हो, लेकिन वह एक स्थिर मुद्रा में है।
अध्ययन जरनल ऑफ डिजिटल फॉरेंसिक्स, सिक्योरिटी एंड ला में प्रकाशित हुआ है।