विपक्ष के कड़े ऐतराज के बीच तीन तलाक विधेयक लोकसभा के बाद मंगलवार को राज्यसभा में भी पारित कर दिया गया। राज्यसभा में बिल के समर्थन में 99 वोट पड़े, जबकि 84 सांसदों ने इस विधेयक के विरोध में मतदान किया। अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद तीन तलाक बिल कानून की शक्ल ले लेगा।
राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास होना मोदी सरकार की बड़ी जीत मानी जा रही है। बता दें कि इससे पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में विधेयक को पेश किया। इससे पहले मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा से मुक्ति दिलाने के मकसद से मंगलवार को राज्यसभा में पेश विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए विभिन्न दलों के सदस्यों ने इसे अपराध की श्रेणी में डालने के प्रावधान पर आपत्ति जताई और कहा कि इससे पूरा परिवार प्रभावित होगा।
हालांकि, सत्ता पक्ष ने इस विधेयक को राजनीति के चश्मे से नहीं देखे जाने की नसीहत देते हुए कहा कि कई इस्लामी देशों ने पहले ही इस प्रथा पर रोक लगा दी है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 उच्च सदन में चर्चा के लिए पेश किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में इस प्रथा को अवैध ठहराया गया। लेकिन उसके बाद भी तीन तलाक की प्रथा जारी है।
यह विधेयक लोकसभा में पिछले सप्ताह ही पारित हुआ है। वहीं, विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सदस्य अमी याज्ञनिक ने कहा कि महिलाओं को धर्म के आधार पर नहीं बांटा जाना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि सभी महिलाओं के प्रति क्यों नहीं चिंता की जा रही है? उन्होंने कहा कि समाज के सिर्फ एक ही तबके की महिलाओं को समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।
उन्होंने कहा कि यह समस्या सिर्फ एक कौम में ही नहीं है। उन्होंने कहा कि वह विधेयक का समर्थन करती हैं लेकिन इसे अपराध की श्रेणी में डालना उचित नहीं है। चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा की सहयोगी जदयू के बशिष्ठ नारायण सिंह ने विधेयक का विरोध किया। उन्होंने कहा कि वह न तो विधेयक के समर्थन में बोलेंगे और न ही इसमें साथ देंगे। उन्होंने कहा कि हर पार्टी की अपनी विचारधारा होती है और उसे पूरी आजादी है कि वह उस पर आगे बढ़े। जद (यू) के सदस्यों ने विधेयक का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन किया।