लोकसभा चुनाव से पहले आडवाणी ने ब्लॉग लिखकर BJP के तौरतरीकों पर उठाए सवाल, कहा- “हमने राजनीतिक विरोधियों को ‘शत्रु’ या ‘राष्ट्रविरोधी’ नहीं माना”

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वयोवृद्ध नेता एवं पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने गुरुवार (4 अप्रैल) को लम्बे समय बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए एक ब्लॉग लिखकर मौजूदा बीजेपी के तौर-तरीके पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विविधता एवं वैचारिक अभिव्यक्ति की आजादी भारतीय लोकतंत्र का मूल आधार है और पार्टी ने कभी भी अपने राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वियों को ‘शत्रु’ या ‘राष्ट्रविरोधी’ नहीं माना। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने राजनीतिक रूप से असहमत होने वाले को कभी ‘‘राष्ट्र विरोधी’’ नहीं माना है।

File Photo: PTI

सरकार का विरोध करने वाले राजनीतिक स्वरों को ‘राष्ट्र विरोधी’ करार देने के चलन को लेकर छिड़ी बहस के बीच बीजेपी के इस वरिष्ठ नेता की यह टिप्पणी काफी महत्व रखती है। ‘नेशन फर्स्ट, पार्टी नेक्स्ट, सेल्फ लास्ट (राष्ट्र प्रथम, फिर पार्टी, स्वयं अंत में)’’ शीर्षक से अपने ब्लाग में आडवाणी ने कहा, ‘‘ भारतीय लोकतंत्र का सार विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये सम्मान है। अपनी स्थापना के समय से ही भाजपा ने राजनीतिक रूप से असहमत होने वालों को कभी ‘दुश्मन’ नहीं माना बल्कि प्रतिद्वन्द्वी ही माना। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसी प्रकार से राष्ट्रवाद की हमारी धारणा में हमने राजनीतिक रूप से असहमत होने वालों को ‘राष्ट्र विरोधी’ नहीं माना। पार्टी (बीजेपी) व्यक्तिगत एवं राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की पसंद की स्वतंत्रता को प्रतिबद्ध रही है।’’ आडवाणी ने अपना यह ब्लाग ऐसे समय में लिखा है जब छह अप्रैल को बीजेपी का स्थापना दिवस मनाया जाएगा और 11 अप्रैल से लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान होना है।

बता दें कि लालकृष्ण आडवाणी को इस बार लोकसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट नहीं दिया है और उनकी पारंपरिक गांधीनगर सीट से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह चुनाव लड़ रहे हैं। आडवाणी ने 1991 से छह बार लोकसभा में निर्वाचित करने के लिए गांधीनगर के मतदाताओं के प्रति आभार प्रकट किया। वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा कि पार्टी के भीतर और वृहद राष्ट्रीय परिदृश्य में लोकतंत्र एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा बीजेपी की विशिष्टता रही है। इसलिए बीजेपी हमेशा मीडिया समेत सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और उनकी मजबूती को बनाये रखने की मांग में सबसे आगे रही है।

पूर्व उपप्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक एवं चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता सहित चुनाव सुधार भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति के लिये उनकी पार्टी की एक अन्य प्राथमिकता रही है। उन्होंने कहा, ‘‘संक्षेप में पार्टी के भीतर और बाहर सत्य, निष्ठा और लोकतंत्र के तीन स्तम्भ संघर्ष से मेरी पार्टी के उद्भव के मार्गदर्शक रहे हैं। इन मूल्यों का सार सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सुराज में निहित है जिस पर मेरी पार्टी अडिग रही है।’’

उन्होंने कहा कि 14 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने के बाद से ही मातृभूमि की सेवा करना उनका मिशन एवं जुनून रहा। सात दशक की राजनीतिक यात्रा में उन्हें पं. दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और कई अन्य महान एवं प्रेरणादायी नेताओं के साथ काम करने का अवसर मिला। वरिष्ठ नेता ने कहा कि उनके जीवन का दिशानिर्देशक सिद्धांत ‘राष्ट्र पहले, पार्टी बाद में और स्वयं अंत में’ रहा है जिसका उन्होंने हर परिस्थिति में पालन किया।

उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र का मूल आधार विविधता एवं अभिव्यक्त की आजादी का सम्मान करना है। आडवाणी ने कहा कि आपातकाल के खिलाफ अभूतपूर्व संघर्ष इन मूल्यों का प्रतीक रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि सभ समग्र रूप से भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूती प्रदान करें। आडवाणी ने 2015 के बाद पहली बार अपने ब्लाग पर कोई पोस्ट डाली है।

PM मोदी ने किया ट्वीट

आडवाणी के ब्लॉग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आडवाणी जी ने बीजेपी की मूल भावना को व्‍यक्‍त किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘आडवाणी जी बीजेपी का असली सार बताते हैं, विशेष रूप से, देश पहले, उसके बाद पार्टी और अंत में मैं के मंत्र को महत्वपूर्ण तरीके से रखा गया है। बीजेपी कार्यकर्ता होने पर मुझे गर्व है और गर्व है कि लालकृष्ण आडवाणी जी जैसे महान लोगों ने इसे मजबूत किया है।’

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