छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक भीमा मंडावी की नक्सलियों द्वारा हत्या किए जाने के मामले में हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट ने मामलें में राज्य सरकार की जांच पर रोक लगा दी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से लगाई गई याचिका पर मंगलवार (25 जून) को कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया। एनआईए का आरोप था कि राज्य पुलिस घटना से संबंधित जानकारी एनआईए को नहीं दे रही थी। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए एनआईए के कदम का विरोध किया था।
भाजपा विधायक मंडावी की लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक दो दिन पहले 9 अप्रैल को दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। नक्सलियों ने विधायक के काफिले को आईईडी ब्लास्ट से उड़ा दिया था। इस हमले में उनका ड्राइवर मारा गया, जबकि चार जवान शहीद हो गए थे। इस मामले में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की जांच पर अविश्वास जताते हुए प्रदेश भाजपा ने सीबीआई की जांच की मांग की थी।
हालांकि, राज्य सरकार चाहती थी कि इसकी जांच राज्य पुलिस ही करे। राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की मांग ठुकराते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस को इसकी जांच का जिम्मा सौंप दिया था। इसके कुछ दिनों बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को जांच का जिम्मा सौंप दिया।
एनआईए ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर छत्तीसगढ़ सरकार से भीमा मंडाववी की जांच से जुड़े सभी दस्तावेज सौंपने की मांग की थी, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद एनआईए ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा की कोर्ट में मंगलवार को इस मामले की सुनवाई हुई। जिसके बाद पुलिस जांच के लिए राज्य सरकार पर रोक लगाने का निर्णय दिया गया।