ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा कहना है कि शरीया कानून को बदला नहीं जा सकता और केंद्र सरकार तीन तलाक के मुद्दे पर जनमत संग्रह करा सकती है।
सोमवार शाम यहां एक आयोजन के दौरान जिलानी ने संवाददाताओं से कहा ‘‘90 फीसदी मुस्लिम महिलाएं शरीया कानून का समर्थन करती हैं।’’
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा ‘‘केंद्र सरकार तीन तलाक के मुद्दे पर जनमत संग्रह करा सकती है..मुस्लिम पर्सनल लॉ में मुसलमान कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे.’’ उन्होंने आरोप लगाया ‘‘तीन तलाक पर रोक का कदम समान नागरिक संहिता लागू करने की एक साजिश है।’’
बहरहाल उन्होंने कहा कि इस्लाम में तलाक को अप्रिय कृत्य समझा जाता है और इसे हतोत्साहित किया जाता है.
भाषा की खबर के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पर उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश को सबक सिखाने के लिए हर मुस्लिम देश के साथ है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने ही षड्यंत्र से प्रभावित है, और तो और पाकिस्तानी मस्जिदें भी आतंकी हमलों से सुरक्षित नहीं हैं।
केंद्र ने मुस्लिमों में तीन तलाक के चलन, ‘निकाह हलाला’ और बहुविवाह का सात अक्तूबर को उच्चतम न्यायालय में विरोध किया था और लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता जैसे आधारों पर इन पर पुनर्विचार के पक्ष में राय जाहिर की थी.
तीन तलाक से मतलब एक साथ तीन बार ‘तलाक’ बोलने से है।
कानून एवं न्याय मंत्रालय ने अपने हलफनामे में लैंगिक समानता, धर्मनिरपेक्षता, अंतरराष्ट्रीय समझौतों, धार्मिक व्यवहारों और विभिन्न इस्लामी देशों में वैवाहिक कानून का जिक्र किया ताकि यह बात सामने लाई जा सके कि एक साथ तीन बार तलाक की परंपरा और बहुविवाह पर शीर्ष न्यायालय द्वारा नये सिरे से फैसला किए जाने की जरूरत है।