केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर विवाद को सांप्रदायिक बनाने के बाद भी स्थानीय निकाय उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। मतदाताओं ने दोनों ही पार्टियों को खारिज कर दिया है। केरल में निकाय उपचुनावों राज्य में सत्ताधारी सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) का जलवा बरकरार है, जबकि मतदाताओं ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों को नकार कर दिया है।
निकाय उपचुनाव में बीजेपी को ना सिर्फ हार का सामना करना पड़ा है, बल्कि इस चुनाव में पार्टी ने अपनी एक जीती हुई सीट भी गंवा दी है। राज्य की 39 सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को मात्र 2 सीटों पर जीत मिली है, वहीं सत्ताधारी एलडीएफ इन चुनावों में सर्वाधिक 21 सीटों पर विजयी हुई है। इसके अलावा, कांग्रेस नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रैटिक फ्रंट (यूडीएफ) को 11 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है।
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ आक्रामक बीजेपी और कांग्रेस के लिए नतीजे अच्छे नहीं रहे।सबरीमाला मामले के सुर्खियों में आने के बाद राज्य में पहली बार कोई चुनाव हुआ है। हालांकि नतीजों से पहले राजनीतिक विश्लेषक उम्मीद जता रहे थे कि सबरीमाला मामले के चलते हिंदुओं की नाराजगी का फायदा बीजेपी और कांग्रेस को मिल सकता है।
वहीं, एलडीएफ को नुकसान झेलना पड़ सकता तो यूडीएफ के वोट बीजेपी और कांग्रेस के पास जा सकते हैं। लेकिन नतीजे सामने आने के बाद ये सब दावे धरे के धरे रह गए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केरल में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की उम्मीद कर रही बीजेपी-कांग्रेस को निकाय चुनावों में करारा झटका लगा है। सत्ताधारी एलडीएफ ने न केवल अपनी सीटें बरकरार रखीं बल्कि वोट प्रतिशत भी बढ़ाया है।
केरल निकाय के इन उपचुनावों में बीजेपी से भी ज्यादा सर्वाधिक नुकसान कांग्रेस-यूडीएफ गठबंधन को हुआ है। इन उपचुनावों में कांग्रेस-यूडीएफ को कुल 11 वॉर्डों में जीत मिली है, जबकि इससे पहले दोनों ही पार्टियों ने 16 वॉर्डों में जीत हासिल की थी। बीजेपी ने राज्य के अलापुज्जा जिले में दो पंचायत वॉर्डों में जीत हासिल की है।