प्रणय राॅय पर CBI के छापे के बाद आज रवीश ने अपने प्राइम टाइम शो में ‘डर की राजधानी दिल्ली’ प्रोग्राम मेें वर्तमान मीडिया की कार्यशैली और सरकारी दमन के कुच्रक पर प्रहार किया। प्रेस की आजादी पर बोलते हुए रवीश ने प्राइम टाइम में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबाम की एक उक्ति का प्रयोग करते हुए कहा कि पत्रकार को चमचा होने की जरूरत नहीं है, उसे संदेहवादी होना चाहिए।
इसके बाद रवीश कुमार ने अनेक उदाहरणों से दुनियाभर के मीडिया को दबाने वाली सराकरों की जिक्र करते हुए कई जानकारियां प्रेषित की। उन्होंने पौलेंड के इतिहास से एक उदाहरण दिया जहां सरकार टीवी पर वहीं दिखाना चाहती थी जो उसकी मंशा होती थी।
इस पर उन्होंने जो कहानी सुनाई वो इस प्रकार से थी कि लोगों ने सरकार की इस मुहिम के खिलाफ अपने टेलिविजन सेट्स को खिड़कियों तरफ लगाकर रखना शुरू कर दिया जिससे की खुफिया तंत्र और प्रशासन ये जान सके कि लोग अपने घरों में टीवी देख रहे है जबकि वो ऐसा करने के बाद बाहर घूमने निकल जाया करते थे।
जब सरकार को इस बात का पता चला कि लोग टीवी नहीं देखते है तो उसने घुमने वाली जगहों की बिजली काटनी शुरू कर दी। पानी सप्लाई बंद कर दी। लेकिन इसके बाद तो और भी ज्यादा लोग टीवी छोड़कर घुमने के लिए बाहर निकलने लगे। तब सरकार ने इसके कंट्रोल करने के लिए नियम बना दिए किसको घूमने जाना चाहिए और किसको नहीं। कितने लोगों को निकलना चाहिए और कितनों को नहीं।
यहां रवीश ने सरकारों को लोगों की निजी पसन्द पर अपना कानून थोपने को लेकर निशाना बनाया। सरकारें यह तय नहीं कर सकती है कि किसको क्या खाना चाहिए, क्या नहीं। क्या पहनना चाहिए, क्या नहीं।
इसके बाद रवीश ने कहा कि आज मीडिया सरकारों की प्रशंसा के गीत गा रहा है। यहां उन्होंने कहा कि तंज करते हुए कहा कि जो समझदार है वो अब यार है जो नहीं समझ सके वो मुकदमें झेल रहे है। सवालों की हालात खराब है उन्हें देखकर लगता है कि किसी ने उस पर चादर डाल दी है। दिल्ली के पत्रकारों को अब डर लगता है, अब सिर्फ चमचे बोलते है।
आगे रवीश ने कहा कि टेलिफोन की हर घंटी एक डर पैदा करती है कि उसका फोन टेप किया जा रहा है। पता नहीं ये सच है कि नहीं लेकिन टेप करने का डर सच है। रवीश वर्तमान मीडिया को गोदी मीडिया कहा और बताया कि गोदी मीडिया वो मीडिया जो गोदी में बैठना पसन्द करता है। ये जो आप देख रहे है लोकतंत्र के दौर में जनमत की मौत का दौर है।