नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीए) की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति होंगे।गुरुवार(21 जुलाई) को भारी बहुमत से उन्हें देश का 14वां राष्ट्रपति निर्वाचित घोषित किया गया। राष्ट्रपति चुनाव के लिये निर्वाचन अधिकारी अनूप मिश्रा ने बताया कि कोविंद ने विपक्ष की उम्मीदवार एवं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को पराजित किया।
राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद ने आसान जीत दर्ज की है, लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो उनका वोट प्रतिशत वर्ष 1974 से लेकर अब तक सबसे कम रहा है। कोविंद ने राष्ट्रपति चुनाव में कुल 10,90,300 में से 7,02,044 मत प्राप्त किए, वहीं उनकी प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार मीरा कुमार को 3,67,314 मिले। इस हिसाब से निर्वाचित उम्मीदवार को 65.65 प्रतिशत मत मिले। हालांकि जीत का अंतर वर्ष 1974 की तुलना में सबसे कम है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक कोविंद के पूर्ववर्ती प्रणब मुखर्जी को वर्ष 2012 में हुए चुनाव में 69.31 फीसदी वोट मिले थे। वर्ष 2007 में प्रतिभा पाटिल को 65.82 प्रतिशत मिले थे, जो कोविंद की तुलना में थोड़ा अधिक था। वहीं, के आर नारायणन 1997 और ए पी जे अब्दुल कलाम 2002 को क्रमश: 94.97 और 89.57 प्रतिशत मत मिले।
राष्ट्रपति चुनाव में केवल वर्ष 1977 में ऐसा अवसर आया था, जब नीलम संजीव रेड्डी शीर्ष संवैधानिक पद पर निर्विरोध निर्वरिोध चुने गये थे। जबकि ज्ञानी जैल सिंह 1982 को 72.73, आर वेंकटरमण 1987 को 72.28 और शंकर दयाल शर्मा 1992 को 65.87 प्रतिशत मत मिले थे।
नारायणन के अलावा केवल दो पूर्व राष्ट्रपतियों राजेंद्र प्रसाद और सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 90 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे। प्रसाद को वर्ष 1957 में 98.99 और सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1962 को 98.24 फीसदी वोट मिले थे।
कौन हैं रामनाथ कोविंद?
अपने लंबे राजनीतिक जीवन में शुरू से ही अनुसूचित जातियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों तथा महिलाओं की लड़ाई लड़ने वाले कोविंद राष्ट्रपति चुनाव से पहले बिहार के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे। बीजेपी दलित मोर्चा तथा अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष रह चुके कोविंद बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं। कोविंद बेहद कामयाब वकील भी रहे हैं।
उन्होंने वर्ष 1977 से 1979 तक दिल्ली हाईकोर्ट में, जबकि 1980 से 1993 तक सुप्रीम कोर्ट में वकालत की। सामाजिक जीवन में सक्रियता के मद्देनजर वह अप्रैल, 1994 में राज्यसभा के लिए चुने गए और लगातार दो बार मार्च 2006 तक उच्च सदन के सदस्य रहे।
कोविंद उत्तर प्रदेश से पहले राष्ट्रपति होंगे। कानपुर देहात के घाटमपुर स्थित परौंख गांव में 1 अक्टूबर, 1945 को जन्मे कोविंद राज्यसभा सदस्य के रूप में अनेक संसदीय समितियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। खासकर अनुसचित जाति-जनजाति कल्याण संबंधी समिति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा कानून एवं न्याय संबंधी संसदीय समितियों में वह सदस्य रहे। कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है और अक्टूबर, 2002 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था।