प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के करीबी राज्य के गृह निर्माण मंत्री प्रकाश मेहता पर 1,000 करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर जारी घमासान के बीच महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राधेश्याम मोपालवर पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें उनके पद से बर्खास्त कर दिया है।समृद्धि महामार्ग परियोजना के मुख्य अधिकारी और महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) के उपाध्यक्ष राधेश्याम मोपलवार की एक दलाल के साथ हो रही बातचीत की सीडी सामने आने के बाद राज्य की फडणवीस सरकार पर शिवसेना समेत विपक्षी पार्टियों ने सवाल खड़े किए थे। राधेश्याम मोपालवर को बर्खास्त किए जाने के बाद विपक्षी पार्टियां अब मंत्री प्रकाश मेहता के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
इससे पहले बुधवार को विरोधी पक्ष नेता धनंजय मुंडे के लगाए आरोपों से बीजेपी सरकार इतनी घबरा गई कि उन्होंने विधान परिषद की बैठक का बहिष्कार कर दिया। इसके बाद कुछ समय के लिए सदन की कार्यवाही बिना किसी मंत्री के चलाई गई। इस घटना को देश के संसदीय इतिहास में पहली घटना बताया जा रहा है।
विधानसभा में जमकर हंगामा
दरअसल, इस सीडी में करोड़ों रुपये का भूखंड एक बिल्डर को देने के लिए सौदेबाजी की रिकॉर्डिंग है। भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर बुधवार को विधानसभा और विधानपरिषद में विपक्ष ने फडणवीस सरकार पर जमकर हमला बोला। हालांकि, इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री फडणवीस ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और जांच की रिपोर्ट एक महीने में आ जाएगी।
पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने टेप लीक होने के बाद कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि यह क्लिप टीवी चैनलों पर मंगलवार से दिखाई जा रही है, जिसमें मंत्रालय को 1 करोड़ रुपये देने की बात कही जा रही है। मुख्यमंत्री फडणवीस को संबंधित अधिकारी को बुलाना चाहिए और स्पष्टीकरण मांगना चाहिए। मंत्रालय में किसे इतने रुपये दिए जाने की बात कही जा रही है? चपरासी या ड्राइवर? यह सरकार की छवि का सवाल है।
मुख्यमंत्री ने दी सफाई
विपक्ष के आरोपों के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि ये आरोप आपके(कांग्रेस) कार्यकाल के हैं, तब आप क्या सो रहे थे? मौजूदा सरकार पारदर्शी तरीके से काम कर रही है। जिस चैनल ने सीडी चलाई वह खुद कह रहा है कि उसने इसकी जांच नहीं की है, इसलिए फॉरेंसिक जांच के जरिए आवाज और सीडी सही होने की पुष्टि करनी जरूरी है। इस मामले में एक महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी और सरकार किसी दोषी को नहीं बख्शेगी।