राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पिछले साल मार्च में विश्व सांस्कृतिक महोत्सव के कारण यमुना डूब क्षेत्र को हई क्षति के लिए गुरुवार (7 दिसंबर) को श्रीश्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन (एओएल) को जिम्मेदार ठहराया है। पीठ ने हालांकि एओएल पर पर्यावरण मुआवजा बढ़ाने से इनकार कर दिया।
अधिकरण ने कहा कि एओएल द्वारा पहले जमा कराए गए पांच करोड़ रुपये का इस्तेमाल डूब क्षेत्र में पूर्व स्थिति की बहाली के लिए किया जाएगा। यदि यह राशि कम पड़ी तो और वसूली की जाएगी, ज्यादा रहने पर इसे एओल को लौटा दिया जाएगा। वहीं आर्ट ऑफ लिविंग एनजीटी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है।
विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने यमुना डूब क्षेत्र के नुकसान के लिए एओएल को जिम्मेदार ठहराने के साथ ही दिल्ली विकास प्राधिकार को भी निर्देश दिया कि वह डूब क्षेत्र को हुए नुकसान और विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुसार उसे बहाल करने में आने वाले खर्च का आकलन करे। पीठ में न्यायमूर्ति जे रहीम और विशेषज्ञ सदस्य बीएस सजवान भी शामिल थे।
पीठ ने कहा कि अगर नुकसान को दुरुस्त करने में आने वाला खर्च पांच करोड़ रुपये से ज्यादा होता है तो उसे एओएल से वसूल किया जाएगा। उसने कहा कि अगर लागत पांच करोड़ रुपये से कम आती है तो शेष राशि फाउंडेशन को वापस कर दी जाएगी। पीठ ने कहा कि यमुना के डूब क्षेत्र का इस्तेमाल किसी ऐसी गतिविधि के लिए नहीं होनी चाहिए जिससे पर्यावरण को नुकसान हो।
पीठ ने हालांकि यह फैसला करने से इनकार कर दिया कि क्या एओएल यमुना तट पर समारोह आयोजित करने के लिए अधिकृत था या नहीं। पीठ ने कहा कि यह उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। अधिकरण ने यमुना तट को बचाने के अपने कर्तव्य का पालन करने में नाकाम रहने के लिए डीडीए की खिंचाई की, लेकिन उसने कोई हर्जाना नहीं लगाई।
सुप्रीम कोर्ट का रूख करेंगे एओएल
आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन (एओएल) ने कहा कि वह मार्च, 2016 में हुए अपने सांस्कृतिक समारोह के आयोजन से यमुना डूब क्षेत्र को पहुंची क्षति के लिए एनजीटी द्वारा जिम्मेदार ठहराने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रूख करेगा।एओएल ने एनजीटी के फैसले पर निराशा जताते हुए दावा किया कि उसने पर्यावरण संबंधी नियमों का पालन किया था और उसकी दलीलों पर विचार नहीं किया गया।
ओएल ने एक बयान में कहा कि द आर्ट ऑफ लिविंग एनजीटी के फैसले से निराश है। हम फैसले से सहमत नहीं हैं। हमारी दलीलों पर विचार नहीं किया गया। बयान में कहा गया कि एओएल कानून का पालन करने वाला संगठन है और न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख करेगा। इसमें कहा गया है कि, हम सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। हमें यकीन है कि हमें सुप्रीम कोर्ट में न्याय मिलेगा।