पढ़ें, पीएम मोदी के करीबी माने जाने वाले CBI के पूर्व अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव को सुप्रीम कोर्ट में कैसे करना पड़ा अपमान का सामना, देखिए वीडियो

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (12 फरवरी) को कोर्ट की अवमानना के मामले में पूर्व सीबीआई अंतरिम चीफ नागेश्वर राव को अपमानजनक सजा सुनाई। भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने सजा के तौर पर नागेश्वर राव को पूरे दिन अदालत कक्ष के एक कोने में बैठने को कहा, साथ ही उनपर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है जिसे उन्हें एक सप्ताह के भीतर जमा करना होगा। सीबीआई का अंतरिम चीफ रहते हुए नागेश्वर राव ने जांच एजेंसी के पूर्व संयुक्त निदेशक ए के शर्मा का तबादला कर दिया था, उस वक्त एके शर्मा मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की जांच कर रहे थे।

एम नागेश्वर राव

बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में सीबीआई के जांच अधिकारी का तबादला करने के मामले में सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी थी। राव ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि गलती हो गई, लेकिन कोर्ट की अवहेलना की मंशा नही थी। हालाँकि, उनकी माफी से संतुष्ट होने के कारण शीर्ष अदालत ने मंगलवार को राव पर कार्रवाई का विचार किया और उन्हें अवमानना ​​का दोषी ठहराया।

सीजेआई गोगोई ने कहा कि हालांकि राव को 30 दिनों की जेल की सजा का प्रावधान है, लेकिन वह केवल उन्हें अदालत कक्ष के एक कोने में रहने का निर्देश दे रहें है जब तक दिन की सुनवाई समाप्त नही हो जाती। हालांकि, शाम 4 बजे से पहले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से जाकर आग्रह किया कि CBI के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने काफी सज़ा भुगत ली है, अब उन्हें जाने दिया जाए। नाराज पीठ ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘यह आपका दंड है.. आपसे कहा गया है, कोर्ट उठने तक बैठे रहें…क्या आप चाहते हैं कि हम कल कोर्ट उठने तक आपकी सज़ा बढ़ा दें?

कोर्ट के सख्त रुख के बाद नागेश्वर राव और भासुरन चुपचाप अपनी सीट पर आकर बैठ गए। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के स्थगित होने बाद नागेश्वर राव सजा पूरी करके कोर्ट से बाहर निकल गए। एक कानूनी संवाददाता के अनुसार, एक भयभीत राव ने शीर्ष अदालत से औपचारिक अनुमोदन पर जोर दिया, जिससे उसे परिसर छोड़ने की अनुमति मिली।

वहां मौजूद एक रिपोर्टर ने कहा कहा कि, स्पष्ट रूप से राव को वहां पर अपमान का सामना करना पड़ रहा था, क्योंकि वह अदालत में एक और दिन बिताने के मूड में नहीं थे। शाम करीब 4.30 बजे सुप्रीम कोर्ट ने राव को छोड़ा। राव जैसे ही लिफ्ट की ओर गए तो वहा पर कई कानूनी संवाददाताओं ने उनसे सजा पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी। इस दौरान राव चुप रहे। वहीं, कैमरों से बचने के लिए वह लिफ्ट के पीछे की ओर मुंह करके खड़े हो गए।

यह वीडियो सामने आने के बाद लोगों के मन में यह सवाल जरुर उठ रहा होगा कि क्या कभी किसने सोचा होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी माने जाने वाले एक अधिकारी का सुप्रीम कोर्ट के अंदर ऐसा अपमानजनक दिन होगा।

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