राहुल उपाध्याय नाम का वह युवक मंगलवार (30 जनवरी) को सामने आया जिसे सोशल मीडिया पर गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के दिन उत्तर प्रदेश के कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा में मरा हुआ बता दिया गया था। मीडिया से बात करते हुए राहुल ने अपनी मौत की अफवाहों का सच सबके सामने रखा। राहुल ने कहा कि हिंसा फैलाने के लिए उनके नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है।कासगंज कोतवाली में पत्रकारों से बात करते हुए राहुल उपाध्याय ने कहा कि उन्हें कई फोन कॉल आए, जिनमें उनके मरे होने की बात कही गई। उन्होंने बताया कि कैसे सोशल मीडिया पर चल रहीं उनके मारे जाने की खबरें बेबुनियाद हैं। दरअसल राहुल उपाध्याय की मौत की खबर को कुछ मीडिया संस्थानों ने भी प्रकाशित कर दिया था। सोशल मीडिया पर लगातार राहुल उपाध्याय की मौत की खबरें वायरल हो रही थीं।
पुलिस का कहना है कि हिंसा प्रभावित इलाके में राहुल उपाध्याय नाम का कोई व्यक्ति रहता ही नहीं है, बावजूद इसके उसकी मौत की झूठी खबर सोशल मीडिया पर फैला दी गई। आईजी अलीगढ़ संजीव गुप्ता ने कहा कि सोशल मीडिया पर राहुल उपाध्याय नाम के युवक की मौत की खबरें अफवाह हैं। राहुल जिंदा है और सही सलामत है। पुलिस ने अफवाह फैलाने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
राहुल की मौत की झूठी खबर फैलाने वालों में आज तक के संपादक भी शामिल
सोशल मीडिया पर राहुल उपाध्याय की मौत की झूठी खबर फैलाने वालों में कई वरिष्ठ पत्रकारों, बुद्धिजीवियों सहित समाचार चैनल भी शामिल थे। सबसे हैरानी की बात यह है कि युवक की मौत की झूठी अफवाह फैलाने वालों में इंडिया टुडे जैस देश के बड़े समूह के वरिष्ठ संपादक अभिजीत मजूमदार भी शामिल थे। भारत के सबसे प्रसिद्ध मीडिया घरानों में से एक इंडिया टुडे के वरिष्ठ संपादक मजूमदार ने पूरे आत्मविश्वास के साथ राहुल की मौत की झूठी खबर अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया था। मजूमदार ने अपने ट्वीट में लिखा था कि चंदन गुप्ता के बाद अब राहुल उपाध्याय की भी तिंरगा यात्रा के दौरान हुई कासगंज हिंसा में मौत हो गई है।
बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा ने रविवार (28 जनवरी) को कासंगज में सांप्रदायिक हिंसा को लेकर समाचार चैनल ‘आज तक’ द्वारा फैलाए जा रहे कथित ‘झूठ’ को लेकर नाराजगी व्यक्त की थी। अभिसार शर्मा ने फेसबुक लाइव कर ‘आज तक’ के पत्रकारों स्वेता सिंह और रोहित सरदाना पर जमकर अपनी भड़ास निकाली। अभिसार का आरोप है कि ‘आज तक’ और उनके पत्रकार कासगंज हिंसा को लेकर कथित तौर पर भ्रामक खबर दिखा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर मौत की खबरें वायरल
दरअसल, उत्तर प्रदेश के कासगंज में गणतंत्र दिवस के मौके पर निकाली जा रही तिरंगा यात्रा के दौरान हुई एक झड़प ने साम्प्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया था। हिंसा में चंदन गुप्ता नाम के एक युवक की गोली लगने से मौत हो गई थी। वहीं, नौशाद नाम का एक शख्स घटनास्थल पर कथित रूप से गोलीबारी की चपेट में आने से घायल हो गया था। इस घटना के बाद अफवाहों का बाजार भी गर्म रहा। गलियों से लेकर सोशल मीडिया तक झूठी सूचनाएं फैलाई गई।
चंदन की मौत की चर्चाएं हो ही रही थी कि इस दौरान सोशल मीडिया पर एक और युवा राहुल उपाध्याय की हिंसा में मौत होने का झूठा प्रचार किया जाने लगा। ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सप्प पर राहुल की तस्वीर शेयर की जाने लगी। उन्हें ‘शहीद’ करार देने वाले पोस्ट लिखे जाने लगे। लेकिन कुछ देर बाद ही असलियत लोगों के सामने आ गई जब राहुल उपाध्याय ने खुद थाने पहुंचकर अपने जिंदा होने का सबूत पेश किया।
घटना के वक्त राहुल उपाध्याय अलीगढ़ में अपने गांव नगला खानजी में थे। सोशल मीडिया पर फैल रहे अफवाह की जानकारी उन्हें जान-पहचान के लोगों से मिली। राहुल ने बताया कि, मुझे समझ में आ गया था कि कुछ लोग दंगा भड़काने के लिए मेरा इस्तेमाल कर रहे थे। कहा जा रहा था कि हिंदुओं को मारा जा रहा है। मैं तुरंत ही पुलिस स्टेशन गया और सारी बातें बताई।
राहुल मंगलवार को मीडिया के सामने आए हैं और उन्होंने बताया कि घटना वाले दिन वह कासगंज में थे ही नहीं। उन्होंने बताया कि, ‘मेरे कुछ दोस्तों ने सोशल मीडिया पर चल रहीं मेरे मरने की खबरों के बारे में मुझे बताया, लेकिन मैं हिंसा के वक्त कासगंज में नहीं था। मैं अपने गांव गया था। मैं बिल्कुल ठीक हूं।’ राहुल ने पहले बताया था कि इंटरनेट बंद होने के कारण वह अपनी मौत का खंडन नहीं कर पा रहे थे।
पत्रकार अभिसार ने 'आज तक' के तथाकथित पत्रकारों रोहित सरदाना और श्वेता सिंह द्वारा फैलाये जा रहे झूठों का किया पर्दाफ़ाश
Posted by जनता का रिपोर्टर on Sunday, January 28, 2018