मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी और अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश (एडीजे) जज आरके श्रीवास्तव मंगलवार(1 अगस्त) को जबलपुर में हाई कोर्ट के सामने अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए। उन्होंने 15 माह की अल्प समय सीमा में चौथी बार तबादले के विरोध में यह धरना शुरू किया है। जज साहब का धरना दूसरे दिन भी जारी(खबर लिखे जाने तक) है। मप्र हाईकोर्ट के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब कोई एडीजे हाईकोर्ट के सामने धरने पर बैठा हो।
धरने में बैठे श्रीवास्तव ने बताया कि तबादला नीति का पालन नहीं किये जाने तथा चेहरा देखकर तिलक किये जाने की परिपाटी के खिलाफ मेरा यह धरना है। मैंने नौ सूत्रीय मांग के संबंध में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। जब तक मेरी मांग पूरी नहीं होती, मेरा धरना कार्यालय अवधि में जारी रहेगा।
उन्होंने बताया कि मैंने न्यायिक सेवा वर्ष 2000 में ज्यडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (जेएमएफसी) के रूप में ज्वाइंन की थी। तीन वर्ष पूर्व मुझो एडीजे के पद पर पदोन्नति किया गया था। पिछले 15 महिनों में मेरा स्थानांतरण चार बार किया गया है। इस अवधि में मेरा स्थानांरतण धार से शहडोल, शहडोल से सिहोरा, सिहोरा से हाईकोर्ट जबलपुर तथा अब नीमच किया गया है।
जज ने कहा कि पूर्व में तबादला नीति का पालन नहीं किये जाने के संबंध में मैंने 17 मार्च 2016 को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथा 6 अप्रैल 2016 में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था। तबादला नीति 2015 के अनुसार एक स्थान पर अधिकतम तीन वर्ष का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भी कई न्यायिक सेवा अधिकारी पांच वर्षो से एक ही स्थान में पदस्थ है। उनके स्थानातंरण का आदेश की जानकारी हाईकोर्ट की वेबसाइट में अपलोड की जाती है। एक सप्ताह बाद उनका स्थानांतरण निरस्त कर दिया जाता है। स्थानातंरण निरस्त किये जाने की जानकारी वेबसाइट में अपलोड नहीं की जाती है।
श्रीवास्तव ने बताया कि हाईकोर्ट का आदेश में है एसीआर की कॉपी प्रतिवर्ष कर्मचारियों को दी जाये। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी एसीआर की कॉपी नहीं दी जाती है। मांगने पर कहा जाता है कि सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगो। जो हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना है।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट जज के रिश्तेदारों व परिचितजनों की नियुक्ति मुख्य शहरों में होती है। कई न्यायिक अधिकारी की पीड़ा से ग्रस्त हैं और उनका अंतरात्मा से उन्हें सहयोग प्राप्त है। इसी बीच, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मोहम्मद एफ अनवर ने बताया कि तीन साल का कार्यकाल पूर्ण होने के कारण एडीजे आर के श्रीवास का स्थानांतरण धार से शहडोल किया गया था।
शहडोल व सिहोरा में पदस्थापना के दौरान उन्होंने अनावश्यक पत्राचार किया था, जिसके कारण उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही थी। अनवर ने कहा कि श्रीवास मालवा क्षेत्र के निवासी है और वह उसी क्षेत्र में स्थानांतरण चाहते थे। जिसके कारण उनका स्थानांतरण गृह जिले के समीप नीमच किया गया था।
उन्होंने कहा कि श्रीवास्तव के द्वारा लगाये जा रहे आरोप गलत हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी न्यायिक अधिकारी ने धरना दिया है। उन्होंने न्यायिक अनुशासन भंग किया है, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।