प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (31 अक्टूबर) को दुनिया की सबसे ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को देश को समर्पित किया। यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले में केवड़िया स्थित सरदार सरोवर बांध से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर साधु द्वीप पर बनी सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण किया।
हालांकि सरदार पटेल की इतनी महंगी प्रतिमा को लेकर सवाल भी उठने शुरू हो गए हैं। यह सवाल किसी और ने नहीं बल्कि खुद देश के पहले गृहमंत्री रहे सरदार पटेल के रिश्तेदारों ने उठाए हैं। पूर्व उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के रिश्तेदारों का कहना है कि पटेल लंबे वक्त से इस सम्मान के हकदार थे, लेकिन अगर वह होते तो इस तरह की श्रद्धांजलि के लिए तैयार नहीं होते।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सरदार पटेल के बड़े भाई सोमाभाई पटेल के पोते धीरूभाई पटेल ने कहा, ‘अगर हम उनसे (सरदार पटेल) पूछते कि क्या वह अपने नाम पर मूर्ति चाहते हैं तो वह मना कर देते। वह बेहद सामान्य माहौल में पले बढ़े हैं। वह पैसों की कीमत समझते थे।’
91 वर्षीय धीरूभाई परिवार के 36 अन्य सदस्यों के साथ स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के अनावरण के कार्यक्रम में मौजूद थे। धीरूभाई ने कहा, ‘हम बेहद खुश हैं कि उन्हें आखिरकार वह सम्मान मिला जिसके वह हकदार थे। वह दूरगामी सोच और दृढ़ विश्वास वाले व्यक्ति थे।’ उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरदार पटेल ने सुभाष चंद्र बोस के साथ थोड़ा और वक्त बिताया होता तो और ज्यादा ऊंचाइयों पर होते।
वहीं, धीरूभाई की 62 साल की बेटी ने अखबार से बातचीत में कहा, ‘उन्होंने (सरदार पटेल) देश के लिए जो किया, उसके सामने यह मूर्ति कुछ नहीं है। वह मेरे पहले हीरो थे और असल मायनों में वह राष्ट्रपिता हैं। मैं उनसे कभी नहीं मिली, लेकिन उनकी बेटी हमारे साथ अहमदाबाद में रही थीं। मैंने उनके बारे में कहानियां सुनी हैं। उनकी हर कहानी प्रेरणादायी है।’
जानिए प्रमिता के बारे में खास बातें
आपको बता दें कि सरदार पटेल के सम्मान में बन रही ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है और महज 33 माह के रिकॉर्ड कम समय में बनकर तैयार हुई है। यह प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है। यह चीन में स्थित स्प्रिंग टेंपल की बुद्ध की प्रतिमा (153 मीटर) से भी ऊंची है और न्यूयॉर्क में स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुनी ऊंची है। अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई 93 मीटर है।
यह प्रतिमा गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के पास साधु बेट नामक छोटे द्वीप पर स्थापित की गई है। इस प्रतिमा के निर्माण में 70,000 टन से ज्यादा सीमेंट, 18,500 टन री-एंफोंर्समेंट स्टील, 6,000 टन स्टील और 1,700 मीट्रिक टन कांसा का इस्तेमाल हुआ है। इस मूर्ति का निर्माण 2,989 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। कांसे की परत चढ़ाने के एक आशिंक कार्य को छोड़ कर इसके निर्माण का सारा काम देश में किया गया है।
यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रैफ्ट निर्माण का काम वास्तव में 19 दिसंबर, 2015 को शुरू हुआ था और 33 माह में इसे पूरा कर लिया गया। इसका काम बुनियादी ढांचे से जुड़ी दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो को अक्टूबर 2014 में सौंपा गया था। काम की शुरूआत अप्रैल 2015 में हुई थी। स्टैच्यू आफ यूनिटी जहां राष्ट्रीय गौरव और एकता का प्रतीक है वहीं यह भारत के इंजीनियरिंग कौशल तथा परियोजना प्रबंधन क्षमताओं का सम्मान भी है।