कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसान संगठनों की एक संयुक्त संस्था, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जोगिंदर सिंह उग्राहा ने गाजीपुर बॉर्डर पर मंगलवार को कहा कि दिल्ली के बाहरी इलाकों में निरंतर इंटरनेट को निलंबित करने, विरोध स्थलों के आसपास भारी बैरिकेडिंग और कंटीले तार लगाने से बातचीत के लिए अनुकूल माहौल नहीं बन पाएगा।
उग्राहा दिल्ली-उत्तर प्रदेश के बीच स्थित गाजीपुर बॉर्डर अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत से मिलने पहुंचे। बता दें कि, गाजीपुर बॉर्डर किसान आंदोलन का नया केंद्र बन चुका है। नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर हजारों किसान गाजीपुर में नवंबर से ही डटे हुए हैं। गाजीपुर अब एक किले में तब्दील हो चुका है। आंदोलन में शामिल होने से लोगों को रोकने के लिए प्रदर्शन स्थल की ओर जाने वाले रास्ते पर कई स्तरों पर बैरिकेड और कंटीले तार लगाए गए हैं और बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है।
बीकेयू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक द्वारा भेजे गए एक बयान के अनुसार, सिंह ने कहा, “इस आंदोलन को बचाने का श्रेय राकेश टिकैत को जाता है जिन्होंने इसे समाप्त करने के सरकार के प्रयासों को विफल कर दिया। जिस तरह से सरकार ने इंटरनेट को निलंबित कर दिया है, जल आपूर्ति बाधित की है, विरोध प्रदर्शन स्थलों के चारों ओर अवरोधक और कांटेदार तार लगाए हैं, इससे बातचीत के लिए अनुकूल वातावरण नहीं बनेगा।” बाद में, टिकैत ने विरोध को बचाने के लिए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आने वाले युवाओं को श्रेय दिया।
उन्होंने रातोंरात गाजीपुर पहुंच कर सहयोग देने के लिए उनकी सराहना की, जब दिल्ली में गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद आंदोलन के खत्म होने की आशंका मंडराने लगी थी। बीकेयू के 51 वर्षीय प्रवक्ता ने कहा, “बड़ी संख्या में हरियाणा और उत्तर प्रदेश के युवा रात में दो बजे यहां पहुंचे। उनके प्यार और विश्वास ने इस आंदोलन को बचाया है।”
गौरतलब है कि, पिछले हफ्ते टिकैत की भावनात्मक अपील ने किसान आंदोलन में नई जान फूंक दी। राकेश टिकैत के रोने वाला वीडियो वायरल होने के बाद हजारों किसान लगातार गाजीपुर बॉर्डर पहुंच रहे हैं। पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य हिस्सों से आए हजारों किसान कड़ाके की ठंड के बावजूद दो महीने से अधिक समय से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाए। (इंपुट: भाषा के साथ)