नोटबंदी के असर से देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2016-17 की जनवरी-मार्च तिमाही में घटकर 6.1 फीसदी रह गई है। जबकि पूरे वित्त वर्ष(2016-17) में यह घटकर 7.1 प्रतिशत पर आ गई है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से बुधवार(31 मई) को जारी आंकड़ों में यह बात सामने आई है।
इसक असर यह हुआ कि अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी की चौतरफा मार के चलते दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से तरक्की वाले देश का तमगा भारत के हाथ से निकलकर चीन के पास चला गया है। आर्थिक विकास दर घटकर तीन साल के निचले स्तर तक जाने की बुरी खबर तब आई है, जब मोदी सरकार अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे होने का जश्न मना रही है।
इससे पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर आठ फीसदी थी। आंकड़ों के मुताबिक, कृषि क्षेत्र के काफी अच्छे प्रदर्शन के बावजूद वृद्धि दर नीचे आई है। इस अवधि में कृषि की विकास दर में करीब सात बढ़कर 4.90 फीसदी पर पहुंच गई। आंकड़ों के मुताबिक, कृषि को छोड़कर सभी क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गई है।
सबसे तेज गिरावट निर्माण क्षेत्र में देखने को मिली है। बीते साल इस क्षेत्र की वृद्धि दर छह फीसदी थी, जबकि इस साल -3.7 फीसदी रह गई है। जो सबसे बड़ी गिरावट है। गौरतलब है कि पिछले साल 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा की गई थी।
कोयला, कच्चा तेल तथा सीमेंट उत्पादन में गिरावट के चलते आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अप्रैल में घटकर 2.5 प्रतिशत रही। इन उद्योगों ने पिछले साल अप्रैल में 8.7 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की थी। इनमें उद्योग कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल हैं।