दिल्ली हाई कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी को लगाई फटकार, सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में ‘रिपब्लिक टीवी’ के संस्थापक को संयम बरतने का दिया निर्देश

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पूर्व केंद्रीय मंत्री और केरल की तिरुअनंतपुरम सीट से कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में अंग्रेजी समाचार चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ के विवादास्पद एंकर और संस्थापक अर्नब गोस्वामी द्वारा उनके टीवी चैनल पर की गई कथित समांतर जांच-पड़ताल पर नाखुशी जताते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि लोगों को आपराधिक मुकदमेबाजी में प्रशिक्षण लेना चाहिए और फिर पत्रकारिता में आना चाहिए। जिम्मेदार पत्रकारिता को समय की जरूरत बताते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि वह यह नहीं कह रहा कि कोई मीडिया पर पाबंदी लगाएगा, लेकिन जांच की शुचिता बनाकर रखी जानी चाहिए।

दिल्ली हाई कोर्ट

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा, ‘‘क्या जांच एजेंसी द्वारा दाखिल आरोपपत्र के खिलाफ अपील में मीडिया शामिल हो सकता है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसका असर वादी (थरूर) पर नहीं बल्कि जांच एजेंसी पर होता है। क्या समांतर जांच या मुकदमा चल सकता है? क्या आप नहीं चाहेंगे कि अदालतें अपना काम करें?’’ हाई कोर्ट कांग्रेस सांसद थरूर के एक आवेदन पर सुनवाई कर रहा था जिसमें रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक गोस्वामी को सांसद के विरुद्ध अपमानजनक बयान देने से रोकने के लिए अंतरिम निषेधाज्ञा लागू करने का अनुरोध किया गया था।

थरूर की शिकायत जुलाई और अगस्त में टीवी चैनल पर उनके नाम से कार्यक्रम के प्रसारण से संबंधित है। प्रसारण में पत्रकार ने दावा किया था कि उन्होंने सुनंदा पुष्कर मामले में पुलिस से बेहतर जांच की है और उन्हें अब भी इस बात में कोई संदेह नहीं है कि पुष्कर की हत्या की गई थी। हाई कोर्ट ने आपराधिक मामले में मुकदमा लंबित रहने के दौरान पत्रकार द्वारा किए गए वादों पर अप्रसन्नता जाहिर की।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘लोगों को आपराधिक मुकदमेबाजी में पाठ्यक्रम करना चाहिए और फिर पत्रकारिता में आना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कृपया संयम बरतिए। जब आपराधिक मामले में पुलिस की जांच चल रही है तो मीडिया समांतर जांच नहीं कर सकता।’’ हाई कोर्ट ने मामले में एक दिसंबर, 2017 के आदेश का जिक्र किया जिसमें कहा गया कि ‘‘प्रेस किसी को दोषी नहीं ठहरा सकती या इस तरह का संकेत नहीं दे सकती कि वह दोषी है या प्रेस कोई अन्य अपुष्ट दावा नहीं कर सकती। प्रेस को विचाराधीन मामलों में रिपोर्टिंग करते समय सावधानी और सतर्कता बरतनी होगी।’’

लाइववॉ के अनुसार, हाई कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी को फटकारते हुए कहा कि, ‘जब आरोप पत्र में आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला बनाया गया है, तो आप अभी भी क्यों कह रहे हैं कि हत्या की गई है। क्या आप वहां मौजूद थे, क्या आप चश्मदीद गवाह हैं? आपको आपराधिक जांच और इसके विभिन्न संदर्भों की पवित्रता को समझना और उसका सम्मान करना चाहिए। सिर्फ इसलिए कि एक काटने का निशान है, यह हत्या के समान नहीं है। क्या आपको यह पता भी है कि किस आधार पर हत्या मानी जाती है? हत्या हुई थी, इस बात का दावा करने से पहले आपको पहले यह समझने की जरूरत है कि हत्या क्या है?

गौरतलब है कि, सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी, 2014 की रात को दक्षिण दिल्ली के एक पांच-सितारा होटल के सुइट में रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत मिली थीं। (इंपुट: भाषा के साथ)

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