काशी के मतदाता बोले, ‘यहां मोदी लहर के नाम पर सिर्फ जहर है’

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लोकसभा चुनाव के दौरान 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने वाराणसी को अपना संसदीय क्षेत्र चुना था, तो उन्होंने वहां पर गंगा मैया का नारा दिया था। उनका ये नारा बहुत चर्चा में रहा था कि ‘गंगा मैया ने मुझे बुलाया है’। बहुत बड़ी संख्या में लोगों को यह विश्वास था कि प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी अपने संसदिय क्षेत्र का उद्धार करेंगे।

मई महीने में मोदी को पीएम बने तीन साल हो जाएंगे, लेकिन लोगों का आरोप है कि अभी तक विकास के नाम पर कुछ भी नही हुआ है। लोगों का गुस्सा जाहिर है, मगर फिर भी पार्टी के सभी यूपी चुनाव में पीएम मोदी के नाम पर वोट मांगने से नही चूक रहे हैं।

बहुत से लोग जिन्होंने मोदी को वोट किया था आज वह लोग अपने आप को ठगा सा महसूस करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सांसद ने यहां(काशी) के लोगों की प्रगति के लिए कुछ भी कार्य नही किया है और काशी की जनता ने इस बार यह ठान रखी है कि इस विधानसभा चुनाव में वो भाजपा को एक पाठ पठाएंगे। आपको बता दें कि यहां पर आठ विधानसभा सीटों के लिए आठ मार्च को अंतिम चरण में चुनाव होना है।

यूपी चुनावों में जनता का मूड जानने के लिए लगातार ‘जनता का रिपोर्टर’ के प्रधान संपादक रिफत जावेद अपनी विशेष कवरेज कर रहे है। इस दौरान उन्होंने जब काशी में जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की तो ऐसा महसूस हुआ कि इस बार बीजेपी को बहुत मुश्किल लग रहा है कि वो उन सीटों पर कैसे जीत हासिल करें, जैसे- वाराणसी कैंट, उत्तर वाराणसी और दक्षिण वाराणसी में जहां पर मुकाबला बहुत जबरदस्त है।

बता दें कि बीजेपी को वहा पर हार की चिंता इतनी है कि, उन्होंने वहां पर अपने केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद सहित और सभी बड़े नेताओं को इस चुनावी दंगल में उतार दिया है। ये सब लोग 8 मार्च तक बनारस में ही रुकेंगे। इतना ही नही काशी में राज्य के नेता ब्रजेश पाठक तक भी बैठे हैं जो कि लखनऊ से पार्टी के उम्मीदवार भी है।

वहीं बीजेपी के बहुत से मतदाता पीएम मोदी के 2014 में किए गए झूठे वादों से नाराज है साथ ही उनका कहना है कि इस विधानसभा चुनाव में सही उम्मीदवारों के टिकट नही दिया गया है। वहां के एक स्थानीय दुकानदार (मोहन श्रीवास्तव) का कहना है कि यहां कि सड़के बहुत पतली है, जिस कारण यहां पर बरसात के मौसम में सड़कों पर चारों और पानी ही पानी भर जाता है। हम किसी भी तरीके से यह नहीं कह सकते हैं कि यह पीएम मोदी की सीट है। कुछ इसी तरह का गुस्सा वहां पर मशहूर पप्पू चाय वाले की एक दुकान पर भी देखने को मिला।

यह दुकान राजनीतिक चर्चाओं के लिए मशहूर है। वहां पर हमें श्याम तिवारी ने बताया कि यहां पर पीएम मोदी की अब कोई लहर नहीं है और इस बार यहां पर बीजेपी हार जाएगी। यहां पर लोग पिछले 30 सालों से बीजेपी के साथ जुड़े हुए है मगर हमें यहां पर निराशा के अलावा कुछ और हाथ नही लगा है। इनके अलावा बुनकर समुदाय में भी अच्छा-खासा आक्रोश देखने को मिला है, इसके अलावा लघुद्योग व्यापारी भी बुनकर कि तरह नोटबंदी से काफी प्रभावित है।

जब हमने वहां पर वीरेंद्र श्रीवास्तव तिवारी से बात की तो पता चला कि वाराणसी में कोई मोदी लहर नहीं थी। उन्होंने कहा कि यहां पर कोई मोदी लहर नहीं है, बल्कि लहर के नाम पर सिर्फ जहर है। इस बार और 8 मार्च को मोदी जी की लिए व्यक्तिगत हार होगी। उन्होंने कहा कि मोदी प्रधानमंत्री है और वह अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के लिए इच्छुक है। एक प्रधानमंत्री रोड शो करने में व्यस्त हैं, तो कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है वह जानते हैं।

लोगों का कहना है कि, यहां पर लगभग हर चुनावी रैली के पोस्टर में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री उमा भारती सहित कई अन्य केंद्रीय नेताओं के साथ पीएम मोदी की तस्वीर है। इन पोस्टरों में लगभग स्थानीय नेताओं की तस्वीरें गायब ही रहती हैं।

जब हमने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में ABVP के कुछ समर्थकों से बात की और हमने उनसे पूछा कि, शहर में मोदी की जीत के बाद विकास का अनुभव क्या है? इस सवाल पर एक छात्र ने बताया कि, (नीचे वीडियो देखें) वास्तव में कुछ विकास दिखाई देता है, क्योंकि जब मैं यहां पर तीन साल पहले आना नही चाहता था, लेकिन अब पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया है। यहां तक ABVP के छात्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वाराणसी में विकास के किसी भी उल्लेखनीय कार्यों का उदाहरण नहीं दे पाए।

वहीं पर हमें कन्हैया लाल ने बताया कि, यहां कि सड़के भी बहुत खराब है और सड़क का निर्माण कार्य केवल दो दिन पहले ही शुरु किया गया था। लेकिन यह काम भी आदर्श आचार संहिता के तहत बंद हो गया। साथ ही लाल ने हमें बताया कि पीएम मोदी ने जब इस गांव को गोद लिया था, तब यहां के एक व्यापारी ने बस दान में देकर बस सेवा शुरु कि थी, लेकिन बाद में वह भी बंद हो गया।

वहीं, एक अन्य ग्रामीण गुलाब पटेल ने कहा कि गांव में अभी भी पयाप्त मात्रा में बिजली नही मिल पा रही है, फिर भी पटेल ने कहा कि, वह अभी भी पीएम मोदी के लिए मतदान करेंगे। बता दें कि, वाराणसी उत्तर से भाजपा ने रविंद्र जायसवाल को मैदान में उतारा है, वहीं जयसवाल के सामने बसपा के सुजीत मौर्य हैं, जो 2012 में यह सीट खो चुके हैं।

उनकी इस चुनाव में काफी गहमागहमी है। जबकि सपा के पूर्व विधायक अब्दुल समद इस समय यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। जानकारी के अनुसार, दक्षिण यूपी की तरह ही वाराणसी उत्तर में भी बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है।

 

 

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