नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच केरल सरकार सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। बता दें कि, इससे पहले केरल सरकार राज्य विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुकी है।
अपने इस कदम को लेकर केरल सरकार का कहना है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 के साथ-साथ धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांत के भी खिलाफ है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन साफ कर चुके हैं की राज्य में सीएए और एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण) लागू नहीं होगा।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाला केरल ऐसा पहला राज्य बन गया है। बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट पहले से ही इस कानून के खिलाफ करीब 60 याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है। लेकिन किसी राज्य सरकार की ओर से यह पहली याचिका है।
Kerala government moves Supreme Court against #CitizenshipAmendmentAct, says, Act is violative of Articles 14, 21 and 25 of the Constitution of India as well as against the basic principle of secularism. https://t.co/FJqNm4UIBr
— ANI (@ANI) January 14, 2020
गौरतलब है कि, बीते दिनों केरल विधानसभा ने नागरिकता कानून (सीएए) को रद्द करने की मांग वाला प्रस्ताव पारित किया है। सत्तारूढ़ सीपीएम के नेतृत्व वाले गठबंधन एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने विधानसभा में सीएए के विरोध में पेश प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि भाजपा के एकमात्र सदस्य ने इसका विरोध किया था।
केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने पहले ही घोषणा की थी कि उनकी सरकार संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपने राज्य में लागू नहीं करेंगे।
गौरतलब है कि, नागरिकता संशोधन कानून का कांग्रेस, टीएमसी समेत लगभग सभी विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम में इस ऐक्ट के विरोध में जोरदार प्रदर्शन हुए थे। देश के कई हिस्सों में लोग इसका विरोध करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली में भी हिंसक प्रदर्शन हुए थे। विपक्षी दलों की मांग है कि, सरकार यह कानून वापस ले।