नवंबर, 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद बंद किए गए 500 और 1,000 रुपये के नोटों का 99.3 प्रतिशत बैंको के पास वापस आ गया है। रिजर्व बैंक की 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। इसका तात्पर्य है कि बंद नोटों का एक काफी छोटा हिस्सा ही प्रणाली में वापस नहीं आया।
बता दें कि सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा करते हुए कहा था कि इसके पीछे मुख्य मकसद कालाधन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है। रिजर्व बैंक को प्रतिबंधित नोटों की गिनती में काफी अधिक समय लगा है।सरकार ने नोटबंदी की घोषणा के बाद लोगों को पुराने नोटों को जमा कराने के लिए 50 दिन की सीमित अवधि उपलब्ध कराई थी।
समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के समय मूल्य के हिसाब से 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं। इसका मतलब है कि बंद नोटों में सिर्फ 10,720 करोड़ रुपये ही बैंकों के पास वापस नहीं आए हैं।
RBI की रिपोर्ट पर देखिए लोगों के रिएक्शन
2 साल बाद आरबीआई ने आखिरकार आंकड़े पेश कर ही दिए। नोटबन्दी के दौरान 99.3% पुरानी करेंसी उनके पास वापस आ गयी।
नोटबन्दी के जो लक्ष्य बताए गए थे वो कितने पूरे हुये और कितने ब्लैकमनी वाले आज सिस्टम की गिरफ्त में है ये आप खुद तय कर लें।
— MANJUL (@MANJULtoons) August 29, 2018
नोटबंदी तो बहना था हक़ीक़त में इन्हें अपने कुछ साथियों का काला धन सफेद करवाना था, मरा गरीब आदमी और छोटा व्यापारी। #Demonetisation
— बेबाक पत्रकार (@RoflRavish) August 29, 2018
रिज़र्व बैंक का कहना है कि नोटबंदी के बाद 99% पैसा बैंकों में वापस आ गया। मतलब नक्सलियों, आतंकवादी संगठनों, काला धन छिपाकर रखने वाले सारे लोगों का पैसा बैंकों में आ गया।@narendramodi जी को फिर टीवी पर आकर देश की उन ग़रीब और मध्यमवर्गीय जनता से माफ़ी मांगनी चाहिए।
— Bhupesh Baghel (@Bhupesh_Baghel) August 29, 2018
अगर नोटबंदी का पूरा पैसा (99 फीसदी) वापस आ गया तो फिर कालेधन का क्या हुआ? #JustAsking #Demonetisation pic.twitter.com/ECkOEyQqMt
— रेखा । P. Rekha । پون ریکھا (@rekhatripathi) August 29, 2018
99.3 फीसदी पुरानी मुद्रा बैंकों में जमा होने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी का 'अधिकांश काला धन नकदी में' वाला दावा गलत साबित हो गया है। नोटबंदी की विफलता के साथ ही लाखों लोगों पर थोपा गया फैसला अनावश्यक और दुखदायी साबित हुआ है। pic.twitter.com/RgtqXa9cGH
— Congress (@INCIndia) August 29, 2018
देश जवाब चाहता है, प्रधान सेवक जी काला धन कहां है ? आरबीआई के आंकड़े तो बता रहे हैं नोटबंदी फेल हुई और बैंकों में 99% से ज्यादा पुराने नोट वापस आ गए. आखिर आप इसपर अपनी चुप्पी कब तोड़ेंगे ?#Demonetisation
— Avinash Pande (@avinashpandeinc) August 29, 2018
रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबन्दी के बाद 99.3% पुराने नोट वापस आ गए। नए नोट छापने, नोट बदली कराने और लगभग 50 दिनों तक देश में आर्थिक इमरजेंसी लगाने के बाद देश और गरीब को केवल नुकसान ही हुआ है।
केंद्र सरकार को अब नोटबन्दी को गलत निर्णय मानकर देश से माफ़ी मांगनी चाहिए। https://t.co/A7cSzmxpQA— Sachin Pilot (@SachinPilot) August 29, 2018
नोटों की गितनी सफलतापूर्वक पूरा
केंद्रीय बैंक ने कहा कि निर्दिष्ट बैंक नोटों (एसबीएन) की गिनती का जटिल कार्य सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। नोटबंदी के बाद लोगों को पुराने नोट जमा कराने का समय दिया गया था। कुछ ऐसे मामले जिनमें बहुत अधिक पुराने नोट जमा कराए गए, अब आयकर विभाग की जांच के घेरे में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों के पास आए एसबीएन को जटिल द्रुत गति की करेंसी सत्यापन एवं प्रसंस्करण प्रणाली (सीवीपीएस) के जरिये सत्यापित किया गया और उसके बाद उनकी गिनती करने के बाद उन्हें नष्ट कर दिया गया। एसबीएन से तात्पर्य 500 और 1,000 रुपये के बंद नोटों से है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि एसबीएन की गिनती का काम पूरा हो गया है। कुल 15,310.73 अरब मूल्य के एसबीएन बैंकों के पास वापस आए हैं। सरकार ने 500 रुपये के बंद नोट के स्थान पर नया नोट तो जारी किया है लेकिन 1,000 रुपये के नोट के स्थान पर नया नोट जारी नहीं किया गया है। इसके स्थान पर 2,000 रुपये का नया नोट जारी किया गया है।
नोटों की छपाई पर 7,965 करोड़ रुपये खर्च
नोटबंदी के बाद 2016-17 में रिजर्व बैंक ने 500 और 2,000 रुपये के नए नोट तथा अन्य मूल्य के नोटों की छपाई पर 7,965 करोड़ रुपये खर्च किए, जो इससे पिछले साल खर्च की गई 3,421 करोड़ रुपये की राशि के दोगुने से भी अधिक है। 2017-18 (जुलाई 2017 से जून 2018) के दौरान केंद्रीय बैंक ने नोटों की छपाई पर 4,912 करोड़ रुपये और खर्च किए।
नोटबंदी को कालेधन, भ्रष्टाचार पर अंकुश तथा जाली नोटों पर लगाम लगाने के कदम के रूप में देखा जा रहा था। लेकिन रिजर्व बैंक का कहना है कि एसबीएन में 500 और 1,000 के पकड़े गए जाली नोटों की संख्या क्रमश: 59.7 और 59.6 प्रतिशत कम हुई है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि पिछले साल की तुलना में 100 रुपये के जाली नोट 35 प्रतिशत अधिक पकड़े गए जबकि 50 रुपये के जाली नोटों की संख्या में 154.3 प्रतिशत का इजाफा हुआ। रिजर्व बैंक ने कहा कि 2017-18 में नए 500 रुपये के नोट की 9,892 जाली इकाइयां पकड़ी गईं, जबकि 2,000 रुपये के नोट की 17,929 जाली इकाइयां पकड़ी गईं। इससे पिछले साल यह आंकड़ा क्रमश: 199 और 638 था।
Investigative Report Exposes Gaping Holes In FIR/Charge-sheet
Posted by Janta Ka Reporter on Wednesday, 29 August 2018