दो साल बाद भी JNU के लापता छात्र नजीब अहमद को नहीं खोज पाई CBI, हाई कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने की दी मंजूरी

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के लापता छात्र नजीब अहमद को ढूंढ पाने में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) भी नाकाम साबित हुई है। करीब दो साल से लापता नजीब का पता लगाने में नाकाम देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी CBI को दिल्ली हाईकोर्ट ने केस बंद करने की इजाजत दे दी है। आपको बता दें कि नजीब जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का छात्र था, जो यहां से अक्टूबर 2016 को लापता हो गया था।

दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार (8 अक्टूबर) को नजीब अहमद के लापता होने के मामले में सीबीआई को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति दे दी है। सोमवार को न्यायाधीश एस. मुरलीधर और न्यायाधीश विनोद गोयल की पीठ ने नजीब की मां फातिमा नफीस की बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका को खारिज करते हुए सीबीआई को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति दी।

पीठ ने कहा कि अहमद की मां निचली अदालत में अपनी बात रख सकती हैं, जहां रिपोर्ट दायर की गई है। गौरतलब है कि अहमद की मां ने हाई कोर्ट में अर्जी देकर अनुरोध किया था कि उनके बेटे का पता लगाने के लिए अदालत पुलिस को निर्देश दे। पीठ ने यह भी कहा कि यदि अहमद की मां को मामले पर स्थिति रिपोर्ट चाहिए तो उन्हें निचली अदालत जाना होगा।

नफीस ने 14 और 15 अक्टूबर की मध्यरात्रि रात में जेएनयू छात्रावास से अपने बेटे के गायब होने की जांच करने के लिए गैर-सीबीआई अधिकारी को शामिल करने के साथ विशेष जांच टीम (एसआईटी) से मामले की जांच कराने की मांग की थी। अपनी आखिरी सुनवाई में सीबीआई के वकील ने पीठ को बताया कि एजेंसी ने मामले से संबंधित सभी चीजों का विश्लेषण कर लिया है और मामले को बंद करने के लिए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करना चाहती है।

14 अक्टूबर की रात एबीवीपी से कथित रूप से जुड़े कुछ छात्रों के साथ कहासुनी के बाद नजीब 15 अक्टूबर, 2016 को जवाहर लाल विश्वविद्यालय के माही-मांडवी छात्रावास से लापता हो गया था। इसके बाद से ही नजीब को लेकर खोज जारी थी। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी, लेकिन सीबीआई भी नजीब का पता लगाने में नाकामयाब साबित हुई। यह मामला पिछले दो सालों से लगातार सुर्खियों में बना रहा है।

नजीब मामले में कब क्या हुआ?

  • 14 अक्टूबर 2016- रात के वक्त नजीब अहमद का जेएनयू में कथित तौर पर एबीवीपी छात्रों से झगड़ा हुआ।
  • 15 अक्टूबर 2016- दोपहर नजीब हॉस्टल छोड़ कर कहीं चला गया, लापता होने का आरोप लगा।
  • 16 अक्टूबर 2016- पुलिस ने नजीब के गायब होने का मामला दर्ज करने के बाद जांच शुरू की।
  • 20 अक्टूबर 2016- नजीब के बारे में सूचना देने वालों को 50 हजार रुपये देने का किया ईनाम घोषित।
  • 25 अक्टूबर 2016- नजीब मामले में पुलिस ने ईनाम की राशि 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख की।
  • 04 नवंबर 2016- नजीब की सूचना देने वाले के लिए ईनाम की राशि बढ़ाकर की गई दो लाख रुपये।
  • 05 नवंबर 2016- पुलिस ने नजीब की तलाश के लिए जारी किया वीडियो विज्ञापन।
  • 12 नवंबर 2016- नजीब मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई।
  • 15 नवंबर 2016- नजीब मामले में ईनाम की राशि पांच लाख रुपये की गई।
  • 16 नवंबर 2016- पुलिस ने उस आटो चालक को ढूंढ निकाला, जिस पर सवार होकर नजीब निकला था।
  • 28 नवंबर 2016- ईनाम की राशि बढ़ाकर दस लाख रुपये कर दी गई।
  • 16 मार्च 2017- नजीब को पांच महीने बाद भी ढूंढने में नाकाम रही दिल्ली पुलिस को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार।
    कोर्ट ने पुलिस को लताड़ते हुए कहा कि आप सिर्फ पेपर वर्क पर ध्यान दे रहे हैं और जनता का पैसा बर्बाद कर रहे हैं।
  • 16 मई 2017 को दिल्ली हाईकोर्ट ने JNU के लापता छात्र नजीब अहमद के मामले को CBI को किया ट्रांसफर।
  • 8 अक्टूबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने नजीब अहमद की गुमशुदगी के मामले में सीबीआई को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति दे दी।

 

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