पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर मोदी सरकार आलोचनाओं से घिरी हुई है। महाराष्ट्र और केंद्र सरकार में बीजेपी की सरकार की सहयोगी शिवसेना ने बुधवार को ईंधन के बढ़े हुए दामों को लेकर एक बार फिर से केंद्र सरकार पर हमला बोला और पूछा कि दुनिया भर में कच्चे तेल के दाम में गिरावट के बावजूद देश में उनके दाम क्या बुलेट ट्रेन परियोजना के लिये जापान से लिये गये कर्ज के ब्याज को चुकाने के लिये ज्यादा रखे गये हैं।
बता दें कि, शिवसेना ने दो दिन पहले ही कहा था कि ईंधन के ज्यादा दाम देश में किसानों की खुदकुशी का मुख्य कारण है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय में कहा है कि, जो लोग सरकार में हैं वह महंगाई पर बात नहीं करना चाहते और न ही दूसरों को बात करने देना चाहते हैं। ईंधन के दाम आसमान पर पहुंचने का दर्द आम आदमी झोल रहा है।
सरकार में बैठे लोग अगर पिछले चार महीनों के दौरान इसके दाम में 20 बार की बढ़ोतरी का समर्थन करते हैं तो यह सही नहीं है। सामना के संपादकीय में आज कहा गया है कि जो लोग यह कह रहे हैं कि पिछली सरकार मौजूदा सरकार से बेहतर थी, उन्हें दोषी ठहराया गया है।
शिवसेना ने आरोप लगाया कि, कांग्रेस के शासन में कच्चे तेल का दाम 130 डॉलर प्रति बैरल था लेकिन इसके बावजूद पेट्रोल और डीजल का दाम कभी भी क्रमश: 70 और 53 रूपये प्रतिलीटर से ज्यादा नहीं हुआ। इसके बावजूद विपक्ष सड़कों पर बढ़ी कीमतों को लेकर प्रदर्शन कर रहा था।
आज जब कच्चे तेल का दाम 49.89 डॉलर प्रति बैरल है लेकिन इसके बावजूद लोगों को कम कीमतों का फायदा नहीं मिल रहा। इसके बजाय पेट्रोल 80 रूपये और डीजल 63रूपये प्रति लीटर की दर से बेचा जा रहा है, यह लोगों को लूटने जैसा है।
बता दें कि, इससे पहले पार्टी ने केंद्रीय मंत्री अलफोंस कन्ननथानम के उस बयान को आम आदमी का अपमान बताया था और कहा था कि बिना योग्यता और लोगों से जुड़ाव वाले लोग देश चला रहे हैं।
जानिए क्या कहा था केंद्रीय मंत्री अलफोंस कन्ननथानम ने
बता दें कि, हाल ही में केंद्रीय पर्यटन मंत्री अल्फोंज कन्ननथनम ने कहा है कि जो लोग पेट्रोल डीजल खरीद रहे हैं वो गरीब नहीं है और ना ही वो भूखे मर रहे हैं। अल्फोंज ने कहा कि पेट्रोल खरीदने वाले कार और बाइक के मालिक हैं, उन्हें पेट्रोल डीजल पर ज्यादा टैक्स देना ही पड़ेगा।