भारत के सातवें नेविगेशन सेटेलाइट के लांच होने से अब हम दुनिया के उन पांच देशों में शामिल हो जाएगें जिनके पास अपना खुद का जीपीएस होगा। जीपीएस अब तक दुनिया के केवल तीन बड़े देशों में ही व्यवसायिक तौर पर प्रयोग किए जाते है। नेविगेशन सिस्टम का कंट्रोल रहेगा बेंगलुरू में और टै्रकिंग सेंटर सारे देश मंे बनाए जाएगें।
जनसत्ता की खबर के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो ने गुरुवार को अपने सातवें नेविगेशन सेटेलाइट IRNSS-1G का सफलतापूर्वक टेस्ट किया। इसे PSLV-C33 लॉन्च व्हीकल के जरिए श्रीहरिकोटा स्थित केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। IRNSS-1G का वजन 1425 किलो है। भारतीय समयानुसार इसे दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया। लॉन्च के लिए उल्टी गिनती मंगलवार सुबह 9.20 बजे शुरू हुई थी।
भारत द्वारा महज सात सेटेलाइट के जरिए नेविगेशन सिस्टम बनाना एक बड़ी कामयाबी है। भारत अब उन पांच देशों में शामिल हो गया है, जिनका अपना दिशासूचक सिस्टम या जीपीएस है। जीपीएस के लिए अब तक दुनिया में तीन बड़े देशों के सिस्टम ही व्यवसायिक तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं।
इन सिस्टमों को उनके देश की सेना भी इस्तेमाल करती है। दुनिया में जो नेविगेशन सिस्टम सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है, उसे GPS कहते हैं। इसका नियंत्रण अमेरिकी सेना के पास है। रूस के नेविगेशन सिस्टम का नाम GLONASS है। वहीं, चीन भी अपने नेविगेशन सिस्टम का विस्तार कर रहा है। इसे भी चीन की सेना ही नियंत्रित करती है।
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