छत्तीसगढ़: एक और व्यापम

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भले ही मध्यप्रदेश के अपने व्यापम घोटाले पर अभी तक कुछ न हुआ हो और अब तक 48  लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा हो वही छत्तीसगढ़ के व्यापम घोटाले पर कोर्ट ने सजा का ऐलान कर दिया है| छत्तीसगढ़ राज्य व्यासायिक परीक्षा मंडल यानि व्यापम से जुड़े घोटाले पर छत्तीसगढ़ कोर्ट ने चार साल पुराने मेडिकल चयन परीक्षा के पेपर लीक मामले में 5 आरोपियों को 6-6 साल की सजा सुनाई है|

मामला 2011 का है जब मेडिकल चयन परीक्षा से पूर्व पुलिस ने बिलासपुर में एक माकन में छापा मारा तो उसे यहाँ पहले से आयोजित परीक्षा के पेपर मिले|

आरोपी शैलेन्द्र पाण्डेय, राजेश कुमार सचन, सुनील कुमार सिंह, धीरज उपाध्याय और सत्य नारायण साहू को कोर्ट ने दोषी माना और सभी दोषियों को न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश दिया|

अतिरिक्त मुख्य न्यायधीश प्रभाकर ग्वाल ने आरोपी बेदी राम और अजित सिंह को दोषी पाया और पांच साल की सजा सुनाई है

पुलिस के अनुसार पुरे घोटाले के मास्टरमाइंड बेदी राम जो की मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले और उत्तर प्रदेश के मेडिकल चयन परीक्षा घोटाले से भी जुड़ा है अभी तक फरार है|

इस पुरे मामले में पुलिस ने 72 लोगो के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज किया| जिमसे से 24 अभी भी फरार बताये जा रहे है| इस मामले में 5 लोगो की गिरफ़्तारी हुई जिसमे अभी शुक्रवार को फैसला आया|  अदालत ने इस मामले में कई लोगों को छोड़ने और उन्हें अभियुक्त नहीं बनाए जाने को लेकर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को मामले की जांच करने वाले पुलिसकर्मियों और पुलिस अधीक्षक के ख़िलाफ़ विभागीय जांच शुरू करने और इनके ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

साल 2011 में जब यह मामला सामने आया तो पुलिस ने पहले की परीक्षाओं में भी गड़बड़ी की आशंका जताई और जांच शुरू की। पता चला कि रायपुर और बिलासपुर के मेडिकल कॉलेजों में बड़ी संख्या  में ऐसे लोग पढ़ रहे हैं, जिन्होंने प्रवेश परीक्षा में भाग ही नहीं लिया था। 45 मेडिकल स्टूडेंट्स के ख़िलाफ़ अब तक कार्रवाई के बाद आज भी इस घोटाले की सीआईडी जांच चल रही है। इस घोटाले को केवल एक उदाहरण से समझा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में 2008 की मेडिकल प्रवेश परीक्षा के टॉपर और अभियुक्त फ़जल मसीह को रायपुर के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिला था। कायदे से आज तक उन्हें डॉक्टर बन जाना चाहिए था। लेकिन हालत ये है कि इन 7 सालों में फजल मसीह एक भी परीक्षा पास नहीं कर पाए हैं।

वही कांग्रेस का आरोप है कि पिछले 15 सालों में व्यापमं ने जितनी भी परीक्षाएं करवाई हैं उनकी जांच की जाए तो यहां भी मध्यप्रदेश की तर्ज़ पर ही घोटाला सामने आएगा।