जासूसी नामक यह जिन्न सबसे पहले गुजरात में बैठी उस वक्त की मोदी सरकार के समय बोतल से बाहर आया था। तब एक लड़की की जासूसी करने का आरोप किसी और पर नहीं बल्कि खुद मोदी सरकार में उस समय गृहमंत्री रह चुके अमित शाह पर किसी “साहेब” के आदेशानुसार जासूसी कराए जाने के लगे थे। बहुत हो हल्ला भी हुआ, एक जाँच आयोग भी बैठाया गया, 50 लाख रूपए भी ख़र्च कर दिए गए यह जानने के लिए कि लड़की की जासूसी हुई भी है या फिर नहीं।
फिर एक ड्रामा हुआ और लड़की और उसके पिता ने स्वीकार किया की हाँ मेरी बेटी की जासूसी हुई थी और वह जासूसी मेरी और मेरी बेटी की जानकारी में ही हो रही थी, इस से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है इस लिए जाँच आयोग भंग कर आगे की जाँच बंद कर दी जानी चाहिए। अब मेरी समझ से तो यह बहर ही है कि आखिर कोई लड़की अपनी जासूसी खुद ही क्यों करवाएगी भला।
हुआ भी ठीक वैसे ही, जाँच बंद करवा दी गई और मामला वहीँ खत्म कर दिया गया।
सबसे पहले कांग्रेस ने अपने नेता राहुल गांधी की जासूसी का आरोप तब केंद्र में बैठी मोदी सरकार पर लगाया जब राहुल गांधी के घर कुछ पुलिस वालों को भेजा गया यह कहते हुए कि यह तो बस एक रूटीन पूछताछ थी।
अब जब से मोदी जी और अमित शाह जी गुजरात छोड़ दिल्ली आए हैं तब से हर पार्टी के बड़े नेता को लगने लगा है की उनका कोई पीछा कर रहा है, उनकी कोई जानकारियां हासिल करने का प्रयास कर रहा है, उनकी जासूसी करवाई जा रही है।
सबसे पहला शिकार बने कांग्रेस के दिग्ज नेता दिग्विजय सिंह। उनकी और एक टीवी एंकर (जो अब उनकी धर्मपत्नी है) की पर्सनल फोटोग्राफ को मीडिया के सामने लाकर रख दिया गया, आरोप लगा की दोनों में से किसी एक का मेल हैक कर फ़ोटो को हासिल किया गया है। मकसद हैक करने वाला जाने।
तीसरा मामला बीजेपी की ही कदावर नेता और केंद्र में मंत्री सुषमा स्वराज का सामने आया जब एक टीवी चैनल ने एक के बाद एक मेल पब्लिक करने शुरू किए। यह सभी वही मेल थे जिससे ललित मोदी और सुषमा स्वराज के सम्बंधों का खुलासा होता था। सुषमा जी ने भी उनके मेल के हैक होने की बात कहते हुए चिंता जताई। चिंता होना वाजिब भी था क्योंकि अब वह सत्ता से बाहर नहीं बल्कि सत्ता के भीतर हैं और बाहर से यह सब कौन करवा सकता है सोचने की बात तो है ही..
चौथा मामला उमर अब्दुल्लाह का। उन्होंने भी कुछ ऐसा देखा जिससे उन्हें भी लगा की उनकी CID से जासूसी करवाई जा रही है। जिस पर उन्होंने भी चिंता जताते हुए खूब ट्वीट किए और मीडिया तक को अपनी चिंता से अवगत करवाया।
पाँचवा मामला आम आदमी पार्टी के पंजाब से सांसद भगवंत मान का सामने आया जिसमे उनके और पंजाब से ही एक और सांसद धर्मवीर गांधी जी के बीच फोन पर हो रही बात का ऑडियो सामने आया। दोनों ने ही अपने फोन टैप होने की आशंका जताते हुए उनकी जासूसी होने का आरोप सीधे मोदी सरकार पर लगा दिया।
पुंजाब में भी जम्मू-कश्मीर की तरह बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ सरकार चला रही है। उमर और मान का मानना है की केंद्र में बैठी मोदी सरकार राज्य सरकारों की मदद से उनकी जासूसी करवा रही है।
केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद अब चाहे कांग्रेस हो, नैशनल कांफेरेंस हो, आम आदमी पार्टी हो और चाहे खुद बीजेपी के कुछ नेता ही क्यों ना हो, सभी को अपनी जासूसी का डर सता रहा है। और आरोप किसी और पर नहीं खुद मोदी सरकार पर ही लग रहे हैं। अब यह महज एक इत्तिफ़ाक है या फिर इन सब पार्टियों के नेताओं के मन का डर? अगर यह हकीकत है तब तो यह अपने आप में एक बहुत ही गंभीर और संगीन मामला बनता है।और चिंता होना वाजिब भी है।
अब क्या गुजरात की ही तर्ज पर एक जाँच आयोग बनाया जाएगा और करोडो रूपए जाँच के नाम पर खर्च किए जाऐंगें सिर्फ यह जानने के लिए कि जासूसी हो भी रही है या नहीं?
जय हिन्द।
The author is an Aam Aadmi Party’s MLA from Chandni Chowk and Parliamentary Secretary, Tourism in Delhi government.
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