पिछले दिनों से आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर देशभर में घमासान मचा हुआ है। सरकारी योजनाओं से लेकर नर्सरी में एडमिशन और सिम कार्ड खरीदने तक में आइडेंडिटी के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया गया है। सभी सरकारी सेवाओं के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है।
File Photo: Reutersइस बीच मंगलवार (17 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने की केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की दलील पर गंभीर टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आधार का डाटा लीक होने से चुनाव के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आधार कार्ड में दर्ज जानकारी के सुरक्षित होने को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि देश में कोई डेटा सुरक्षा कानून नहीं है, ऐसे में लोगों का डेटा सुरक्षित है यह कैसे कहा जा सकता है। सुनवाई के दौरान आधार डेटा के चुनाव में इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है।
पीठ के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि ये वास्तविक आशंका है कि उपलब्ध आंकड़े किसी देश के चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर डेटा का इस्तेमाल चुनाव परिणाम पर प्रभाव डालने के लिए किया जाता है तो क्या लोकतंत्र बच सकेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि डेटा संरक्षण कानून की अनुपस्थिति में उपलब्ध सुरक्षित उपायों की प्रकृति क्या है? ये समस्याएं लक्षणकारी नहीं है बल्कि वास्तविक हैं।
वहीं सुनवाई के दौरान UIDAI की तरफ से राकेश द्विवेदी ने कहा कि प्रोद्योगिकी आगे बढ़ रही है और हमारे पास तकनीकी विकास की सीमाएं हैं। राकेश द्विवेदी की इस दलील पर जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि ज्ञान की सीमाओं के कारण हम वास्तविकता के बारे में आंख मूंदे नहीं रह सकते हैं, क्योंकि हम कानून को लागू करने जा रहे हैं जो भविष्य को प्रभावित करेगा।
आधार हर मर्ज का इलाज नहीं
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने लगातार हो रही बैंक धोखाधड़ी रोकने और आतंकियों को पकड़ने में आधार से मदद मिलने की केंद्र सरकार की दलीलों से असहमति जताते हुए कहा था कि आधार हर मर्ज का इलाज नहीं है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया था कि आधार के जरिए बैंक धोखाधड़ी को रोका जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार से बैंक धोखाधड़ी को नहीं रोका सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को आधार पर सुनवाई के दौरान कहा था कि धोखाधड़ी करने वालों के साथ बैंक अधिकारियों की ‘साठगांठ’ रहती है और घोटाले इसलिए नहीं होते हैं, क्योंकि अपराधियों के बारे में कोई जानकारी नहीं रहती है। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र के तर्क पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि महज कुछ आतंकियों को पकड़ने के लिए पूरी जनता से आधार के साथ अपने मोबाइल फोन को लिंक करने के लिए कहा जा रहा है।