साजदा फय्याज
लोकतंत्र की हिफाजत करते हुए दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बी. एस. बस्सी साहब की फौज ने जिस तरह से कल दिल्ली के और देश के सबसे बड़े दुश्मनों के खिलाफ अपनी कारवाई को अंजाम दिया वो काबिले तारीफ है। मोदी सरकार में विरोध करने वालों का यहीं हाल होना भी चाहिए। मोदी सरकार को विरोध पंसन्द नहीं है चाहे वो किसी भी तरह का हो। पीएम मोदी के संरक्षण में पनप रहीं सरकार बेहद शांतिप्रिय है।
रोहित वेमूला की मौत के बाद हमारी बदहाल व्यवस्था के खिलाफ निर्दोष छात्रों पर जिस प्रकार से दिल्ली पुलिस ने अपनी बहादूरी दिखाई उसके लिये बी. एस. बस्सी साहब को अगले वर्ष जरूर कोई ना कोई राजकीय सम्मान तो मिल ही जाना चाहिए। ये अवार्ड इसलिये भी मिलना चाहिए क्योंकि जब जब दिल्ली की सरकार ने कोई प्रयोगात्मक कदम उठाने की कोशिश करी तब-तब बस्सी साहब ने केन्द्र सरकार का नुमाइंदा बनकर अपनी टांग जरूर अड़ाई।
चाहे वो नजीब जंग साहब हो, बस्सी सहाब हो। पीएम मोदी के प्रति कृतज्ञता दिखाने के किसी भी अवसर को हाथ से नहीं जाने देते। देशभर में सरकारी और प्रशासनिक तौर पर लोकतंत्र को जिस प्रकार से मोदीतंत्र में बदला जा रहा है, वो अब भारतीय जनमानस के सामने है।
अब से पहले भी सेंसर बोर्ड में संस्कारों के नाम पर पहलाज निहलानी साहब ने जिस प्रकार से सरकार की मंशा को थोपा है वो जगजाहिर है। इसके अलावा एफटीआई में गजेन्द्र चौहान की नियुक्ति के नाम पर सरकार ने जो मनमानी दिखाई है वो भी मोदीतंत्र का एक नमुना भर है। दूसरी तरफ अनुपम खैर साहब ने तो बाॅलीवुड को ही मोदी रंग में रंगने का बीड़ा उठा रखा है। अपने प्यादों की कारगुजारी को मोदी सरकार भी नजरअदांज नहीं करती है। समय-समय पर जो रेवडि़यां सरकार बांटती है, उसमें भक्तों की चांदी खूब कट जाती है?
कल दिल्ली के जिन निर्दोष छात्रों पर दिल्ली पुलिस ने बर्बरतापूर्ण हमला किया उसके बचाव में आए बस्सी साहब ने कमाल का तर्क दिया है कि अगर आपको विरोध करना ही है तो जंतर-मंतर जाओ? मतबल बस्सी साहब कहना चाह रहे है कि अगर आप यहां-वहां विरोध का झंडा लहराओगें तो हम तो ऐसी देश विरोधी गतिविधियों को कुचलना जानते है।
सारे देश ने टेलिविजन के माध्यम से निर्दोष छात्रों पर दिल्ली पुलिस की बर्बरता देखी। केवल जनता के रिर्पोटर पर ही लगभग 7 लाख लोगों ने इस वीडियों को देखा लेकिन बस्सी साहब का यहां भी अजीब कुतर्क है।
वो कह रहे है कि अभी तक उन्होंने इस वीडियों को नहीं देखा। सरकार के इन नये नायकों की स्वामीभक्ति जर्जर हो चुके लोकतंत्र को मोदीतंत्र में बदलने की और एक और बड़ी मिसाल है।