काफी जद्दो-जहद के बाद सोमवार को एनडीए में सीटों के बंटवारे पर सहमति बन गई है। इस सहमति के तहत बिहार विधानसभा चुनावों में जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा (HAM) अब 20 सीटों पर चुनाव लडेंगी साथ ही कुछ सीटों पर बीजेपी के बैनर तले भी लड़ेंगे । लेकिन किस फॉर्मूले के तहत बात बनी है, इसका खुलासा नहीं हो सका है।
इसकी जानकारी सोमवार को बीजेपी के दिल्ली स्थित कार्यालय में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दी। शाह ने बताया कि बिहार विधानसभा की कुल 223 सीटों में से बीजेपी 160 सीटों पर, रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी 40 सीटों पर, उपेंद्र कुशवाहा की RLSP 23 सीटों पर और जीतन राम मांझी 20 सीटों पर HAM चुनाव लडेंगी।
इसके लिए रविवार से ही मुलाकातों का दौर जारी था। जीतन राम मांझी के मसले पर बीजेपी में रविवार दिन भर बैठकें चलीं। रात में भी अनंत कुमार, धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव ने बैठकें की और सीट विवाद के कारण मांझी ने पटना जाने का कार्यक्रम भी रद्द कर दिया था।
सीट बंटवारे पर समझौते के बाद मांझी और शाह ने एक-दूसरे को मिठाई भी खिलाई। हालांकि, मांझी जब अमित शाह के घर से निकले तो काफी बुझे मन में दिखे। इससे पहले, जीतन राम मांझी ने भी कहा था कि आज फैसला हो जाएगा। हालांकि, मांझी ने धमकी दी थी कि अगर उन्हें मनमुताबिक सीटें नहीं मिली तो उनकी पार्टी चुनाव से अलग हो जाएगी।
बीजेपी रामविलास की एलजेपी और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी के साथ-साथ जीतन राम मांझी की HAM से गठबंधन कर लालू-नीतीश के गठबंधन से मुकाबला करना चाहती है, लेकिन सीटों के बंटवारे का पेंच राह में रुकावट बन रही थी। लेकिन बीजेपी बड़ी मुश्किल से रामविलास और उपेंद्र कुशवाहा को मनाने में कामयाब होने के बाद जीतन राम मांझी को भी मना लिया है। दरअसल जीतन राम मांझी को मनमुताबिक सीटें नहीं मिल रही थीं, जिस कारण मामला फंस रहा था।
बीजेपी, मांझी को कुल 20 सीट देने को तैयार थी, जिसमें पांच मांझी समर्थक उम्मीदवार बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर लड़ेंगे, लेकिन मांझी 20 सीटें मांग रहे थे। इसके अलावा बीजेपी के चिन्ह पर लड़ने वाले पांच उम्मीदवार अलग से।
मांझी की नाराज़गी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब रविवार को रामविलास पासवान ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को मिठाई खिलाई तो मांझी अंदर-अंदर आगबगुला हो रहे थे। रिपोर्टों के अनुसार इन तस्वीरों को लेकर मांझी का कहना है कि गठबंधन में जिस तरह का सम्मान पासवान का है वैसा उनका नहीं।