गुजरात चुनावों के कारण छोटा हो सकता है संसद का शीतकालीन सत्र, विपक्ष ने की निंदा

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संसद का शीतकालीन सत्र इस बार छोटा हो सकता है, क्योंकि अधिकतर सांसद गुजरात विधानसभा चुनावों में प्रचार करने में व्यस्त होंगे जो दिसंबर में दो चरणों में होने जा रहा है। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय संसद की कैबिनेट मामलों की समिति (सीसीपीए) करेगी, लेकिन सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि सत्र नवंबर के अंतिम हफ्ते में बुलाया जा सकता है और यह एक हफ्ते या दस दिनों का हो सकता है।न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सीसीपीए की बैठक की तारीख को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। बता दें कि गुजरात चुनाव नौ और 14 दिसंबर को होंगे और वोटों की गिनती 18 दिसंबर को होगी। जबकि हिमाचल प्रदेश में चुनाव नौ नवंबर को होंगे और वहां भी वोटों की गिनती 18 दिसंबर को होगी।

संसद का शीतकालीन सत्र सामान्य तौर पर मध्य नवंबर से दिसंबर के तीसरे हफ्ते तक चलता है। राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि दो नवंबर बीत गया। हमें अब भी संसद सत्र की तारीख का पता नहीं है। मुझे उम्मीद है कि संसद सत्र 20 या 21 नवंबर से शुरू हो सकता है। सरकार तारीखों की घोषणा करने में इतना सावधान क्यों है?

उन्होंने कहा कि वर्ष की शुरुआत में ही संसद का कैलेंडर बनाना अच्छा विचार है। तारीखों की घोषणा से पहले वे खेल क्यों खेल रहे हैं। वहीं भाकपा के डी राजा ने सरकार द्वारा सत्र को छोटा करने के किसी भी प्रयास की निंदा की। राज्यसभा में भाकपा नेता राजा ने कहा कि सरकार ने औपचारिक रूप से हमें कोई जानकारी नहीं दी है।

उन्होंने कहा कि शीत सत्र को छोटा करना सही नहीं है। संसद की बैठक एक वर्ष में कम से कम 100 कार्य दिवसों के लिए नहीं हो रही है। राज्यों में चुनाव हो रहे हैं लेकिन शीत सत्र को छोटा करने का यह कारण नहीं हो सकता है।

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