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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव: भाजपा-सपा की तरह ताबड़तोड़ रैलियां और जनसभाएं क्यों नहीं कर रहीं मायावती? विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए BSP प्रमुख ने दिया जवाब

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उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती के अब तक चुनावी मैदान में न उतरने को लेकर विपक्षों दलों के कटाक्ष पर जवाब दिया है। यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने शनिवार को भाजपा नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि सरकारी खजाने में पैसा उन्हें ठंड के मौसम में भी गर्म रखता है।

मायावती

बसपा प्रमुख ने कहा कि चुनाव से पहले जो जनसभाएं की जा रही हैं, वह जनता के पैसे और सरकारी कर्मचारियों की भीड़ के बूते की जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बसपा की अपनी कार्यशैली है और वह अन्य पार्टियों की नकल नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा कि सत्ता के लोगों को ठंड में जो गर्मी चढ़ी है, वह सरकार के और गरीबों के खजाने की गर्मी है और कहा कि हमारी पार्टी गरीबों-मजलूमों की पार्टी है, दूसरी पार्टियों की तरह धन्ना सेठों-पूंजीपतियों की पार्टी नहीं है।

गौरतलब है कि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 30 दिसंबर को मुरादाबाद, अलीगढ़ और उन्नाव में भाजपा की जन विश्वास यात्रा के दौरान बसपा पर हमला करते हुए कहा था कि ‘बहन जी’ (मायावती) की तो ठंड ही उतर नहीं रही। उन्होंने कहा था, ‘चुनाव नजदीक हैं और वह प्रचार के लिए नहीं निकली हैं। ऐसा लगता है कि वह पहले से ही डरी हुई है।’

मायावती ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा, ‘जब कांग्रेस और भाजपा सत्ता में होती है, चाहे वह केंद्र में हो या राज्यों में, वे चुनाव से कुछ महीने पहले एक के बाद एक जनसभाएं करते हैं।’

उन्होंने कहा कि, “गरीबों के लिए सरकारी खजाने में पैसा उन्हें गर्म रख रहा है। लेकिन, जब ये पार्टियां सत्ता में नहीं होती हैं तो हमारी तरह ही होती हैं। वे जनसभा नहीं करते हैं, उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होते हैं या चुनाव से पहले आधारशिला नहीं रखते हैं।”

प्रतिद्वंद्वी दलों द्वारा आयोजित रैलियों में भीड़ के बारे में मायावती ने कहा, “उनमें से आधे सरकारी कर्मचारी हैं और अन्य टिकट चाहने वाले होते हैं। हम इसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में देख रहे हैं। बसपा प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी गरीबों और शोषितों की है, पूंजीपतियों की नहीं।

मायावती ने कहा, मैं इस बात से वाकिफ हूं कि अगर मैं दूसरी पार्टियों की नकल करती हूं और एक के बाद एक जनसभाएं करती हूं, तो मेरे लोग इसका खर्च नहीं उठा पाएंगे।

इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि, अगर हम उनकी (प्रतिद्वंद्वी दलों) नकल करते हैं, तो चुनाव के दौरान धन की कमी के कारण नुकसान हो सकता है। जहां तक ​​चुनाव की बात है तो हमारी पार्टी का काम करने का तरीका अलग है। हम इसे बदलना नहीं चाहते, भले ही प्रतिद्वंद्वी पार्टियां हमारा उपहास करें या मीडिया इसके बारे में लिखे। अन्य पार्टियों को हमारी चिंता नहीं करनी चाहिए। (इंपुट: भाषा के साथ)

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