गुजरात: विजय रूपाणी के सीएम पद से इस्तीफे पर छलका बेटी का दर्द, फेसबुक पर लिखी भावुक पोस्ट

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गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की बेटी राधिका रूपाणी ने सोशल मीडिया के जरिए राज्य में घटित घटनाक्रम पर अपनी बात रखी है। राधिका ने अपने फेसबुक पोस्ट में बताया कि उनके पिता कठिन समय में देर रात ढाई बजे तक लोगों के लिए काम किया करते थे। साथ ही सवाल उठाया है कि क्या सिर्फ कठोर छवि ही नेता की पहचान होती है? उन्होंने अपने पिता को लेकर सवाल किया है कि क्या सरल होना राजनीति में गुनाह है?

विजय रूपाणी
फाइल फोटो

राधिका रूपाणी ने पिता को लेकर फेसबुक पर गुजराती भाषा में एक लंबा का पोस्ट लिखा है। इसमें उन्होंने ‘विजय रूपाणी फ्रॉम दि आईज ऑफ ए डॉटर’ (एक बेटी की नजर से विजय रूपाणी) शीर्षक वाले पोस्ट में उन्होंने पिता की “मृदुभाषी” छवि को नष्ट करने वाले सभी लोगों की निंदा की।

उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “कई राजनीतिक विश्लेषकों ने उनके (विजय रूपाणी के) काम और भाजपा कार्यकाल के बारे में बात की, इनको बहुत बहुत धन्यवाद। उनके अनुसार पिता का कार्यकाल एक कार्यकर्ता से शुरू हुआ और फिर अध्यक्ष, महापौर, राज्य सभा सदस्य, पर्यटन के अध्यक्ष, भाजपा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री आदि तक सीमित है। लेकिन मेरी नजर में पापा का कार्यकाल 1979 मोरबी की होनारत (बाढ़), अमरेली में बादल फटने की घटना, कच्छ भूकंप, स्वामीनारायण मंदिर आतंकवादी हमले, गोधरा की घटना, बनासकांठा की बाढ़ से शुरू हुआ। ताउते तूफान और यहां तक ​​कि कोविड के दौरान भी मेरे पिता पूरी जान लगाकर काम कर रहे थे।”

राधिका ने अपनी फेसबुक पोस्ट में बचपन का जिक्र करते हुए लिखा, “उन्होंने (विजय रूपाणी) कभी अपना निजी काम नहीं देखा। उन्हें जो जिम्मेदारी मिली उसे पहले निभाया। कच्छ के भूकंप के समय भी सबसे पहले गए। बचपन में भी मम्मी-पापा हमें घुमाने नहीं ले जाते थे। वे हमें मूवी थिएटर नहीं बल्कि किसी कार्यकर्ता के यहां ले जाते थे, ये तो इनका रिवाज था। स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर में आंतकी हमले के वक्त मेरे पिता वहां पहुंचने वाले पहले शख्स थे, वह नरेंद्र मोदी से पहले ही मंदिर परिसर पहुंचे थे। बहुत कम लोग जानते होंगे कि जब ताऊते आया तो वो रात के 2-30 बजे तक सीएम डेस्क बोर्ड के ज़रिए लोगों से संपर्क कर रहे थे। सालों तक हमारे घर का एक ही प्रोटोकॉल था। किसी का रात को तीन बजे भी फ़ोन आए तो नम्रता से बात करनी है। जन और जन सेवा ही उनका मंत्र है।”

राधिका रूपाणी ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि उनके पिता का मृदुभाषी होना उनके लिए गलत साबित हुआ। उन्होंने लिखा, “हमें सिखाया गया है कि कोई भी इन्सान किसी भी टाइम घर पर आए और पिताजी ना हों तो चाय-नाश्ते के बिना ना जाने दिया जाए। हमेशा सरल स्वभाव रखना। आज हम अपने फ़ील्ड में सेटल हो पाए और विनम्र हैं तो इसका श्रेय हमारे माता-पिता को जाता है।”

राधिका ने एक शीर्षक का हवाला देते हुए कहा कि रूपाणी की ‘मृदुभाषी छवि ने उनके खिलाफ काम किया’, राधिका कहती हैं: “क्या राजनेताओं में संवेदनशीलता नहीं होना चाहिए? क्या यह एक आवश्यक गुण नहीं है जो हमें एक नेता में चाहिए? उन्होंने (रूपाणी ने) कड़े कदम उठाए हैं और भूमि हथियाने वाला कानून, लव जिहाद, गुजरात आतंकवाद नियंत्रण और संगठित अपराध अधिनियम (गुजसीटीओसी) जैसे फैसले इस बात के सबूत हैं। क्या कठोर चेहरे का भाव पहनना…एक नेता की निशानी है?”

उन्होंने कहा कि घर पर “हम हमेशा चर्चा करेंगे कि क्या एक साधारण व्यक्ति (मेरे पिता की तरह) भारतीय राजनीति में जीवित रहेगा जहां भ्रष्टाचार और नकारात्मकता प्रचलित है। मेरे पिता हमेशा कहते थे कि राजनीति और राजनेताओं की छवि भारतीय फिल्मों और सदियों पुरानी धारणा से प्रभावित है और हमें इसे बदलना होगा। उन्होंने कभी भी गुटबाजी का समर्थन नहीं किया और यही उनकी विशेषता थी। कुछ राजनीतिक विश्लेषक सोच रहे होंगे कि – ‘यह विजयभाई के कार्यकाल का अंत है’ – लेकिन हमारी राय में उपद्रव या प्रतिरोध के बजाय, आरएसएस और भाजपा (एसआईसी) के सिद्धांतों के मुताबिक सत्ता को लालच के बिना छोड़ देना बेहतर है।”

गौरतलब है कि, गुजरात में नए मुख्यमंत्री की घोषणा ने सबको चौंका दिया। रूपाणी के बाद भूपेंद्र पटेल को सूबे की कमान सौंपी गई है। उन्होंने 13 सितंबर को राज्य के 17वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।

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