‘लोकतंत्र’ जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का नाम है, लोकतंत्र में सब से बड़ी ताक़त जनता के पास होती है। किसी भी पार्टी को सत्ता में बैठाना और गिराना जनता के हाथ में है। इसलिए लोकतंत्र देश चलाने वाली पार्टी की जिम्मेदारी होती है कि वह जनता की राय को प्राथमिकता दें, उनकी समस्याओं को दूर करे, लेकिन हिंदुस्तान जैसे लोकतांत्रिक देश के सिंहासन पर बैठे हुक्मरान जनता की समस्या हल करने के बजाए उन्हें उलझाते जाते हैं और जनता की हक को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।यह उक्त बातें ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के महासचिव डॉक्टर मोहम्मद मंजूर आलम ने कही। वहीं देश के वर्तमान स्थिति पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि EVM का इस्तेमाल लोकतंत्र और अवाम के फैसले की हत्या करने जैसा है। दुनिया के प्रगतिशील देशों ने भी EVM का इस्तेमाल बंद कर दिया है, क्यों के उन्हें मालूम है जनता के फैसले को जानने के लिए यह मशीन सुरक्षित नहीं है। इसका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है जबकि हिंदुस्तान में ऐसा नहीं है।
जनता की यह मांग है कि सरकार बैलेट पेपर का इस्तमाल करें वोटिंग मशीन का चलन खत्म किया जाए, लेकिन सरकार इसपर कोई ध्यान नहीं दे रही है। डॉक्टर आलम ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के रवैया पर भी सवाल उठाया जिसमें सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को PNB बैंक का स्टेट्स रिपोर्ट देने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और घोटाला देश की तरक़्क़ी में सबसे बड़ा रोड़ा है।
दूसरे देशों से हिंदुस्तान के अब तक पीछे होने की सबसे बड़ी वजह घोटाले पर घोटाला होते रहना है, लेकिन अफसोस की बात यह है सरकार भी घोटालो में शामिल लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती और न ही कोई ठोस कदम उठाती है। डॉक्टर आलम ने फाइनेंस बिल 2018 की आलोचना करते हुए कहा कि इस बिल को विपक्ष के द्वारा चर्चा और उनकी सहमति के बिना ही पास कर दिया गया।
जल्दबाजी में इस बिल को पास कर के सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह सिर्फ मंत्री महोदय और उच्च पदों पर बैठे हुए अफसरों की सैलरी बढ़ाने में ही दिलचस्पी है, जनता की समस्या से इन्हें कोई लेना देना नहीं है। डॉ. मोहम्मद आलम ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र पर भी सवाल उठाया जिसमें स्वामी ने प्रधानमंत्री से ऑर्डिनेंस लाकर राम मंदिर बनाने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि ऐसा करना जनता के हक़ के साथ खिलवाड़ करने के बराबर है। बाबरी मस्जिद का मामला सुप्रीम कोर्ट के अधीन है, सुनवाई चल रही है इसलिए इस संबंध में ऑर्डिनेंस लाने की बात करना अदालत की तौहीन है और इसे साफ जाहिर होता है कि स्वामी जैसे लोग अदालत पर यकीन नहीं रखते।
कांग्रेस ने भी की बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग
बता दें कि कांग्रेस ने भी शनिवार (17 मार्च) को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के दुरुपयोग की शंका का हवाला देते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग (ईसी) को बैलेट पेपर की पुरानी प्रथा को दोबारा से अमल में लाना चाहिए। कांग्रेस ने एक साथ चुनाव कराने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कदम पर भी निशाना साधा। पार्टी अधिवेशन में अपनाए गए राजनीतिक संकल्प में चुनाव प्रक्रिया के पारदर्शी और मुक्त होने की जरूरत को सुनिश्चित करने की बात पर जोर दिया गया ताकि जनता का चुनावी प्रक्रिया पर विश्वास बना रहे।
समाचार एजेंसी IANS के मुताबिक संकल्प में कहा गया, ईसी के पास मुक्त और पारदर्शी चुनाव को सुनिश्चित करने का संवैधानिक अधिकार है। जनता का चुनावी प्रक्रिया पर विश्वास बना रहे इसके लिए मतदान और मतगणना प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए रखने की जरूरत है। पार्टी अधिवेशन के संकल्प में कहा गया, चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन आयोग को बैलेट पेपर की पुरानी प्रथा को अमल में लाना चाहिए। ज्यादातर लोकतांत्रिक देशों ने इसे लागू किया हुआ है।
वहीं ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की कांग्रेस की मांग पर अब भाजपा भी सहमति जताती दिख रही है। भाजपा का कहना है कि यदि सभी दलों के बीच सहमति बनती है तो भविष्य में ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने पर विचार किया जा सकता है। कांग्रेस द्वारा अपने 84वें महाअधिवेशन में बैलेट पेपर से चुनाव कराने का प्रस्ताव पेश किए जाने के संबंध में सवाल पूछे जाने पर भाजपा महासचिव राम माधव ने यह बात कही।