भारत ने कहा है कि आतंकवाद आज दुनिया के लिए ‘अस्तित्व संबंधी खतरा’ बन गया है और इसे लेकर ‘पाखंड’ अस्वीकार्य है। भारत ने रेखांकित किया कि बड़े स्तर पर शरणार्थी संकट के पीछे का ‘अहम कारण’ आतंकवाद है।
विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के पहले शरणार्थी एवं प्रवासी शिखर सम्मेलन में यहां अपने संबोधन में कहा, ‘इस बात पर बल देना महत्त्वपूर्ण है कि शरणार्थी संकट का अहम कारण आतकंवाद है। क्या हम इस तथ्य को नजरअंदाज कर सकते हैं, हम नहीं कर सकते। हम अपने जोखिम पर ऐसा करते हैं।’
भाषा की खबर के अनुसार, अकबर ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद से विश्व को ‘अस्तित्व संबंधी खतरा’ है और ‘इस संकट को लेकर पाखंड नहीं चलेगा।’ उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि संघर्ष, युद्ध और गरीबी से बच कर भाग रहे लाखों लोगों के लिए अच्छे या बुरे आतंकवाद जैसी कोई चीज नहीं है।
अकबर ने कहा, ‘यदि आपके पास इस सवाल का जवाब नहीं है तो आप केवल किसी शरणार्थी से यह पूछिए कि क्या वह किसी आतंकवाद को अच्छा या बुरा मानता है।’ आतंकवाद को मानवाधिकारों के लिए ‘सबसे बड़ा खतरा’ बताते हुए अकबर ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों का सीमा पार करके जाना यह याद दिलाता है कि दुनिया एक वैश्विक गांव बन गई है।
अकबर ने कहा, ‘हम समृद्ध या नष्ट एक साथ ही हो सकते हैं, यह सबसे अच्छा होगा कि हम शांति, समृद्धि और मित्रता के साथ रहना सीख लें।’ उन्होंने ‘बचाव को उपचार से बेहतर’ बताते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद जैसे मुद्दों से निपटना होगा
सशस्त्र संघर्ष रोकना होगा और विकास का मार्ग आसान बनाना होगा जिससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि लोगों को अपना देश छोड़ कर जाने के लिए मजबूर नहीं होना पड़े। अकबर ने कहा, ‘हमें यह पता लगाना होगा कि वे शरण क्यों मांगते हंै। बचाव उपचार से बेहतर है। कभी-कभी बचाव ही एकमात्र उपचार होता है।’ उन्होंने कहा कि सशस्त्र संघर्ष रोक कर, आतंकवाद से निपट कर, स्थायी विकास के लिए शांति निर्माण एवं स्थापना और सुशासन की स्थिति लोगों को अपने देश छोड़ कर जाने के लिए मजबूर होने से रोकेगी।