पालघर में दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट-पीट कर हत्या किए जाने की घटना के मामले में अपने कार्यक्रम में कथित टिप्पणियों की वजह से जांच का सामना कर रहे अंग्रेजी समाचार चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ के विवादास्पद एंकर और संस्थापक अर्नब गोस्वामी की मुसीबतें और बढ़ गई है। क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर अर्नब गोस्वामी के खिलाफ लंबित कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई है।
लाइव लॉ वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, रिपेक खानसाल द्वारा दायर आवेदन में कहा गया है कि अर्नब गोस्वामी ने उनके खिलाफ देश भर में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग सुप्रीम कोर्ट में दायर जिस रिट याचिका में की, उसमें उन्होंने भ्रामक बयान दिए हैं। आवेदक ने इस याचिका में गोस्वामी द्वारा किए गए दावों पर आपत्ति जताई है कि वह “एक पत्रकार और संपादक” हैं।
उन्होंने अपने आवेदन में कहा कि, प्रसारण कर्मचारी और टीवी एंकर ”प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट 1867” के अनुसार “संपादक” की परिभाषा के दायरे में नहीं आते हैं और ‘वर्किंग जर्नलिस्ट’ के दायरे में भी काम करने वाले पत्रकारों और अन्य अखबारों के तहत हैं ,जैसा कि कर्मचारी (सेवा की शर्तें) और विविध प्रावधान अधिनियम, 1955 में परिभाषित है।
Livelaw वेबसाइट के अनुसार खानसाल ने अपने आवेदन में कहा, गोस्वामी ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हलफनामे पर झूठा दावा किया और भारतीय दंड संहिता की धारा 191,199 और 200 के तहत अपराध के अपराध को आकर्षित किया। इसलिए, याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट से रिपब्लिक टीवी एंकर के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत कार्यवाही शुरू करने का आग्रह करता है।
बता दें कि, अर्नब गोस्वामी के रवैये के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। महाराष्ट्र सरकार का आरोप है कि अर्नब गोस्वामी पुलिस को धमका रहे हैं और ऐसी स्थिति में उसे उनके दबाव और धमकियों से सुरक्षा चाहिए। सोनिया गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में मुंबई पुलिस ने हाल ही में अर्नब गोस्वामी से 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी।