उच्चतम न्यायालय ने आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) से पूछा कि क्या महिलाओं को निकाहनामा के समय तीन तलाक को ना कहने का विकल्प दिया जा सकता है।
पीटीआई की ख़बर के मुताबिक, प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह भी कहा कि क्या सभी काजियों से निकाह के समय इस शर्त को शामिल करने के लिए कहा जा सकता है। पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।
न्यायालय ने पूछा, क्या यह संभव है कि मुस्लिम महिलाओं को निकाहनामा के समय तीन तलाक को ना कहने का विकल्प दे दिया जाए? पीठ ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एआईएमपीएलबी (AIMPLB) की ओर से पैरवी कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से जवाब मांगते हुए कहा, हमारी तरफ से कुछ भी निष्कर्ष ना निकालें।