इस समय देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) खुद सवालों के घेरे में आ गई है। सीबीआई के सीनियर अधिकारी एक दूसरे के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे हैं। एजेंसी के अंदर जारी घमासान के बीच केंद्र सरकार ने मामले में दखल दिया है। सीबीआई में आतंरिक कलह के मद्देनजर मोदी सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया है।
इतना ही नहीं सीबीआई दोनों शीर्ष अधिकारियों से सारे अधिकार वापस ले लिए हैं। जबकि संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से अंतिरम निदेशक नियुक्त कर दिया है। इस फैसले को सरकार का इस मुद्दे पर बड़ा एक्शन माना जा रहा है।
आलोक वर्मा की जगह एम. नागेश्वर राव को अंतरिम डायरेक्टर का कार्यभार सौंपा गया है। राव सीबीआई में अभी जॉइंट डायरेक्टर के तौर पर काम कर रहे थे। 1986 बैच के ओडिशा कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राव तेलंगाना के वारंगल जिले के रहने वाले हैं। नागेश्वर राव ने बुधवार सुबह ही अपना कार्यभार संभाला। एक सरकारी आदेश में कहा गया कि प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली नियुक्ति समिति ने मंगलवार की रात संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से सीबीआई निदेशक के पद का प्रभार दिया।
इस आदेश का मतलब यह है कि सरकार ने सीबीआई के पदानुक्रम में संयुक्त निदेशक से वरिष्ठ स्तर यानी अतिरिक्त निदेशक रैंक के तीन अधिकारियों को दरकिनार कर नागेश्वर राव को एजेंसी के निदेशक का प्रभार दिया। जिन तीन अतिरिक्त निदेशकों को दरकिनार किया गया है उनमें ए के शर्मा भी शामिल हैं। अस्थाना की ओर से की गई शिकायत में शर्मा का नाम सामने आया था। देश की इस शीर्ष जांच एजेंसी के इतिहास में यह पहला ऐसा मामला है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचे आलोक वर्मा
इस बीच केंद्र के इस कदम के खिलाफ आलोक वर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है और इस मामले की अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी। सूत्रों ने पहले बताया था कि सीबीआई मुख्यालय सील कर दिया गया है। वहां न तो सीबीआई कर्मियों और न ही बाहरी लोगों को जाने की इजाजत दी जा रही थी, क्योंकि अधिकारियों की एक टीम इमारत में थी। हालांकि, अब इमारत में प्रवेश की इजाजत दी जा रही है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मीट कारोबारी मोइन कुरैशी को क्लीन चिट देने में कथित घूस लेने के आरोपों पर सीबीआई ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर केस दर्ज किया है। जिसके बाद राकेश अस्थाना ने सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा पर भी दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप लगा दिया। दोनों शीर्ष अधिकारियों के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप से सीबीआई की विश्वसनीयता पर उठते सवालों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर यह कार्रवाई हुई है।
गौरतलब है कि एजेंसी ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर अस्थाना पर केस दर्ज किया है। एफआईआर में उन पर मांस कारोबारी मोइन कुरैशी से 3 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है। राकेश अस्थाना को इस मामले में अपनी गिरफ्तारी की आशंका थी, जिसे रुकवाने के लिए उन्होंने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। घूस मामले में अपने खिलाफ दायर एफआईआर को लेकर अस्थाना ने मंगलवार को हाईकोर्ट में में अपील दायर की।
अस्थाना ने हाई कोर्ट से यह निर्देश देने की मांग की कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अस्थाना की गिरफ्तारी पर सोमवार (29 अक्टूबर) तक रोक लगा दी है। सीबाआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की तरफ से कार्रवाई के खिलाफ दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वे पूरे आरोपों पर 29 अक्टूबर को जवाब दें। अदालत ने CBI को याथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया है।
सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र निलंबित
इस बीच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को अपने डीएसपी देवेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया। मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ आरोपों की जांच के दौरान दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने के आरोप में देवेंद्र को सोमवार को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, “देवेंद्र कुमार को ड्यूटी से निलंबित कर दिया गया है।”
समाचार एजेंसी IANS के मुताबिक, धन शोधन और भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों का सामना कर रहे कुरैशी के खिलाफ मामले की जांच कर रहे कुमार को दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने के आरोप में सोमवार को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई ने रविवार को अपने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना, कुमार और दो अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। एक अदालत ने कुमार को सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि दिसंबर 2017 और इस वर्ष अक्टूबर में कम से कम पांच बार रिश्वत ली गई। गुजरात काडर के भारतीय पुलिस सेवा के 1984 बैच के अधिकारी अस्थाना पर कुरैशी मामले में जांच का सामना कर रहे एक व्यापारी से जांच में राहत देने के लिए दो करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप है। इस मामले की जांच अस्थाना के नेतृत्व में गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रहा था।