राफेल विमान सौदे मामले में दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (14 मार्च) को एक बार फिर सुनवाई हो रही है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा करते हुए कहा कि कहा कि सुप्रीम कोर्ट को पुनर्विचार याचिकाओं से लीक हुए पन्नों को हटाने का निर्देश देना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप क्या विशेषाधिकार का दावा करते हैं? वह तो पहले ही अदालत में पेश हो चुका है।
बता दें कि केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राफेल विमान सौदे के बारे में उसके फैसले पर दाखिल पुनर्विचार याचिका में लगाए गए दस्तावेज ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील’’ हैं और वे लड़ाकू विमान की युद्धक क्षमता से संबंधित हैं। शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में सरकार ने कहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी तथा कार्यकर्ता अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा दाखिल पुनर्विचार याचिका व्यापक रूप से वितरित की गई हैं और ये देश के शत्रु और विरोधियों के पास उपलब्ध है।
वहीं, गुरुवार को एक बार फिर राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को पुनर्विचार याचिकाओं से लीक हुए पन्नों को हटाने का निर्देश देना चाहिए, क्योंकि सरकार इन दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा करती है।
Rafale deal review petitions case: Attorney General KK Venugopal says Supreme Court should direct removal of the leaked pages from the review petitions as the government claims privilege over these documents pic.twitter.com/UIGd4hkBj9
— ANI (@ANI) March 14, 2019
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप (अटॉर्नी जनरल) क्या विशेषाधिकार का दावा करते हैं? वे उन्हें पहले ही कोर्ट में पेश कर चुके हैं। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा- उन्होंने इसे चोरी करने के बाद प्रस्तुत किया है। स्टेट डॉक्यूमेंट्स को बिना अनुमति के प्रकाशित नहीं किया जा सकता है।
Supreme Court: What privilege do you (Attorney General) claim? They have already produced them in court. Attorney General: They have produced it after stealing it. State documents can't be published without explicit permission. #Rafale https://t.co/L8xgmCmDiZ
— ANI (@ANI) March 14, 2019
राफेल की पुनर्विचार याचिकाओं में याचिकाकर्ता की ओर से पेश गोपनीय दस्तावेज़ो को सरकार द्वारा प्रिवलेज डाकूमेंट बताकर संरक्षण मांगे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनो पक्षों की बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया है। बुधवार को केंद्र की तरफ से पेश हलफनामे में कहा गया है, ‘‘इससे (दस्तावेजों) राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। केंद्र सरकार की सहमति, अनुमति या सम्मति के बगैर, वे जिन्होंने, इन संवेदनशील दस्तावेजों की फोटोप्रतियां (फोटोकॉपी) करने और इन्हें पुनर्विचार याचिकाओं के साथ संलग्न करने की साजिश रची है और ऐसा करके ऐसे दस्तावेजों की अनधिकृत तरीके से फोटो प्रति बनाकर चोरी की है… ने देश की सार्वभौमिकता, सुरक्षा और दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्तों को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित किया है।’’
हलफनामे में कहा गया है कि यद्यपि सरकार ‘‘गोपनीयता बरतती है’’, पुनर्विचार याचिकाकर्ता संवेदनशील सूचनाऐं लीक करने के दोषी हैं जो समझौते की शर्तो का उल्लंघन है। इसमें यह भी कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा से संबधित मामले में आंतरिक गोपनीय वार्ता की चुनिंदा तौर पर और अधूरी तस्वीर पेश करने की मंशा से अनधिकृत रूप से प्राप्त इन दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रहे हैं।’’