लोकपाल की नियुक्ति में हो रही देरी के मुद्दे सुप्रीम कोर्ट सख्त होता नजर आ रहा है। शीर्ष अदालत ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को हलफनामा दाखिल कर 10 के दिन भीतर ये बताने का निर्देश दिया है कि लोकपाल की नियुक्ति कब तक होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (2 जुलाई) को मोदी सरकार से कहा कि वह 10 दिन के भीतर देश में लोकपाल की नियुक्ति की समय सीमा तय कर उसे सूचित करे।
समाचार एजेंसी यूनिवार्ता के मुताबिक लोकपाल की नियुक्ति में विलम्ब को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से हलफनामा दायर करके यह बताने का निर्देश दिया है कि इसमें और कितना समय लगेगा। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर भानुमति की खंडपीठ ने सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को हलफनामा दायर करने के लिए 10 दिन का समय दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार अपनी स्थिति रिपोर्ट में इस बात का विस्तृत ब्योरा दे कि लोकपाल की नियुक्ति के लिए वह आगे क्या कदम उठाने वाली है। केंद्र सरकार के सर्वोच्च विधि अधिकारी एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने लोकपाल की नियुक्ति को लेकर खंडपीठ के समक्ष सरकार का लिखित निर्देश पेश किया। इसके बाद अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तारीख मुकर्रर की।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट गैर-सरकारी संगठन कॉमन कॉज की ओर से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई कर रहा है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि लोकपाल की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 27 अप्रैल 2017 के आदेश पर केंद्र सरकार ने अभी तक अमल नहीं किया है, इसलिए केंद्र के खिलाफ अदातल की अवमानना का मामला बनता है।
NDTV के मुताबिक याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि जनवरी 2013 में लोकपाल बिल पास हुआ था। साढ़े चार साल बीत चुके हैं। अब वक्त आ गया है जब कोर्ट को अपने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अधिकार का इस्तेमाल कर लोकपाल की नियुक्ति करनी चाहिए। बता दें कि संसद ने 2013 में लोकपाल कानून लागू कर दिया था, लेकिन तब से ही सरकार ने इस संस्था में आवश्यक नियुक्तियां नहीं की हैं, जिसके संबंध में अदालत में सुनवाई जारी है।