सोमवार(17 जुलाई) से शुरू हो रहे मानसून सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार(16 जुलाई) को गोरक्षा के नाम पर गोरक्षकों द्वारा गुंडागर्दी को लेकर कड़ा रुख अख्तियार है। सर्वदलीय बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर असामाजिक लोग हिंसा कर रहे हैं। ऐसे सभी लोगों के खिलाफ राज्य सरकारें कड़ी कार्रवाई करें।
बता दें कि लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले आज एक सर्वदलीय बैठक बुलाई। ये बैठक संसद की कमिटी रूम में हुई। सुमित्रा महाजन ने मानसून सत्र से पहले होने वाले बैठक में सभी राजनीतिक दलों से लोकसभा के कामकाज के ठीक से संचालन में सहयोग देने का आग्रह किया।
बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर जो हिंसा कर रहे हैं, ऐसे लोगों पर कठोर से कठोर कार्रवाई करेंगे। पीएम ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून हाथ में लेने का हक किसी को नहीं है। साथ ही मोदी ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर हो रही राजनीति ठीक नहीं है। पीएम ने ये भी कहा कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
सर्वदलीय बैठक समाप्त होने के बाद केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने प्रेस को संबोधित करते हुए यह बात बताई। अनंत कुमार ने पत्रकारों से कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी को जीएसटी लागू होने की बधाई देते हुए कहा कि यह अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, पीए मोदी ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात कही है।
पीएम मोदी ने सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करने को कहा। लालू का नाम लिए बिना मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को बचाया नहीं जाना चाहिए। भ्रष्टाचार के चलते राजनीतिक नेताओं की छवि लगातार गिरती जा रही है। पीएम मोदी के इस बयान को लालू यादव पर अप्रत्यक्ष रूप से हमले के रूप में जोड़कर देखा जा रहा है।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर पूर्व राज्यों में जो बाढ़ आई है, उसको लेकर भी चिंता जताई। पीएम ने कहा कि उत्तर पूर्व के राज्यों में जो बाढ़ आई है। यह चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सेना को तैयार रखा गया है और राज्यों की पूरी मदद की जाएगी। इसके अलावा पीएम मोदी ने अनुरोध किया है कि 9 अगस्त को (भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर) सदन में चर्चा होनी चाहिए।