सही दाम नहीं मिलने से नाराज किसानों ने भेड़ों को चरवा दी प्याज की सारी फसल

0

थोक मंडी में अपनी उपज का सही मोल नहीं मिलने पर मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में युवा किसान ने गुस्से में आकर प्याज की खड़ी फसल को खेत में ही नष्ट करा दिया। बाद में इसे भेड़ों के रेवड़ को चरवा दिया। जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर बिरगोदा गांव के किसान अनिल गौड़ (32) ने बताया, ‘मैंने इस बार करीब तीन बीघा में प्याज बोया था।

लेकिन इंदौर की थोक मंडी में मुझे प्याज की उचित कीमत नहीं मिल पा रही थी। नतीजतन मैंने खेत में रोटावेटर (एक तरह का कृषि यंत्र) चलवाकर प्याज की खड़ी फसल हाल ही में नष्ट करा दी।’ गौड़ ने बताया कि जब प्याज की खड़ी फसल को नष्ट किया जा रहा था, तब राजस्थान के कुछ प्रवासी पशुपालक भेड़ों के रेवड़ के साथ उनके खेत के पास से गुजर रहे थे। पशुपालकों के अनुरोध पर उन्होंने इस रेवड़ से अपना खेत चराने की मंजूरी दे दी।

उन्होंने कहा, ‘खेती की लागत निकलना तो दूर, मुझे प्याज की बुआई से प्रति बीघा करीब 20,000 रुपये का नुकसान हो गया। लेकिन इस बात का संतोष है कि कम से कम इसकी नष्ट फसल से भेड़ों का पेट भर सका।’ गौड़ के मुताबिक उन्हें इंदौर की थोक मंडी में प्याज का 2.5 रुपये प्रति किलोग्राम का मूल्य मिल रहा था। अगर वह अपनी फसल को गांव से शहर की मंडी लाकर इस कीमत पर बेचते, तो उन्हें प्रति बीघा करीब 15,000 रुपये का अतिरिक्त नुकसान हो जाता क्योंकि उन्हें प्याज को खेत से निकलवाने, छंटवाने, बोरों में भरवाकर पैक कराने, माल ढुलाई और परिवहन का खर्च भी भुगतना पड़ता।

उन्होंने कहा, ‘इन हालात में मैंने फसल को खेत में ही नष्ट करने का फैसला किया, क्योंकि मैं अपने घाटे का बोझ और नहीं बढ़ाना चाहता था। मैंने तय कर लिया है कि अगली बार मैं प्याज की खेती हर्गिज नहीं करूंगा।’ प्याज ने पिछले साल भी सूबे के किसानों को रुलाया था। प्याज की बम्पर पैदावार के बाद मई 2016 में थोक मंडियों में इस सब्जी के भाव इस कदर गिर गये थे कि किसानों के लिये खेती की लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा था। इस स्थिति से नाराज किसानों ने विरोधस्वरूप सड़क पर प्याज फेंकने शुरू कर दिये थे।

इन घटनाओं के बाद प्रदेश सरकार ने पहल करते हुए किसानों से छह रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर प्याज खरीदा था। सूबे के किसान संगठन आम किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य केदार सिरोही ने कहा, ‘प्रदेश सरकार को पिछले साल की तर्ज पर इस बार भी किसानों से उचित मूल्य पर प्याज खरीदना चाहिये। इसके साथ ही, केंद्र सरकार को प्याज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने की बरसों पुरानी मांग पूरी करनी चाहिये।’

उन्होंने यह मांग भी कि प्रदेश सरकार को प्याज की भंडारण सुविधाओं में इजाफा करना चाहिये और किसानों को इसके निर्यात के लिये जरूरी सुविधाएं मुहैया करानी चाहिये।

Previous articleNo headway in killing of e-rickshaw driver
Next articlePM Modi, Merkel discuss terrorism, Brexit ahead of summit meeting