प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद उनकी ही पार्टी के कई नेताओं को नोटबंदी से राज्यों में होने वाले आगामी चुनावों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के बारे में सोच कर चिंता में डाल दिया है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स, जिसने भगवा पार्टी के सांसदों और भाजपा के वैचारिक वरिष्ठ पदाधिकारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का इंटरव्यू करने का दावा किया है, कहा, नोटबंदी पर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच काफी बेचैनी थी।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने समाचार ऐजेंसी से बात करते हुए कहा, ” मतदाताओं को ये समझाना की सब कुछ ठीक हो जाएगा काफी मुश्किल है”
गंगवार ने कहा, “हर उम्मीदवार जो चुनाव लड़ रहा है परेशान है क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग भाजपा को लिए वोट नहीं करेंगे, तनाव है और हम इससे इनकार नहीं कर सकते”
इसी तरह भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों के बीच भी इस बात की चिंता है कि इस कारण उत्तर प्रदेश के 71 में से 28 सांसदों ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से नकदी की कमी के लिए कथित तौर पर मुलाकात की”
भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिंह राव ने दावा किया कि मोदी अस्थायी कठिनाइयों के बावजूद भारी समर्थन का आनंद ले रहे थे।
उन्होंने कहा, “पार्टी कार्यकर्ता आगामी चुनावों में बड़ी जीत के बारे में अत्यधिक उत्साहित हैं, और अगर कुछ आशंकित हैं, तो उन्हे वास्तविकता का जल्द ही एहसास होगा।”
अनाम आरएसएस के एक अधिकारी ने कहा कि उन्होंने इस कदम से पहले मोदी को सलाह दी थी इतने बड़े पैमाने पर अभ्यास के लिए जमीनी तैयारी करने की जरुरत है, और बैंकिंग नेटवर्क के विस्तार सहित समय लेने की जरुरत है।”
लेकिन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक अधिकारी के अनुसार, मोदी ने इस कदम को लेने का निर्णय लिया और आगे वो अकेले अपनी विफलता या सफलता के लिए जिम्मेदारी भुगतेंगे।
पिछले सप्ताह 36 से अधिक भाजपा सांसद जिनमें से कई चुनावी राज्यों से थे कथित तौर पर शाह से मुलाकात कर उनके निर्वाचन क्षेत्रों के लिए और अधिक नकदी भेजने की मांग की थी।
सांसदों ने भी कथित तौर पर शाह को बताया कि उनमें चुनावी रैलियों का आयोजन कराने का साहस नहीं है जबकि लोग अब भी लाईन में खड़े हैं।
उत्तर प्रदेश से भाजपा के विधायक जगदंबिका पाल ने रायटर को बताया कि, “स्थिति गंभीर है, और हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते।
और प्रतिबंध की आलोचना उन ही भाजपा की पार्टी गुना तक ही सीमित नहीं हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, नोटबंदी का भरपूर समर्थन किया था। बाद में उन्होंने इसे राष्ट्रीय आपदा से जोड़ दिया।