हिंदुत्ववादी राजनीति के खिलाफ खुलकर लिखती थीं गौरी लंकेश, खबर को लेकर BJP नेताओं ने जताई थी आपत्ति

0

हिंदुत्ववादी राजनीति के खिलाफ खुलकर विचार जाहिर करने वाली वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की मंगलवार(5 सितंबर) को बेंगलुरु में गोली मारकर हत्या कर दी गई। लंकेश कन्नड़ टैबलॉयड ‘गौरी लंकेश पत्रिका’ का संपादन करती थीं। इसके अलावा कुछ दूसरे प्रकाशन की भी मालकिन थीं। पुलिस उपायुक्त एमएन अनुचेत ने कहा कि राज राजेश्वरी नगर में गौरी को उनके घर में ही गोली मारी गई। जांच चल रही है और अभी किसी संगठन का नाम लेना जल्दबाजी होगी। अपने आवास के बाहर हत्या का शिकार हुईं गौरी लंकेश को पिछले साल बीजेपी सांसद प्रह्लाद जोशी और पार्टी पदाधिकारी उमेश दोषी की ओर से दायर मानहानि मामले में पिछले वर्ष हुबली के मजिस्ट्रेट की अदालत ने दोषी करार दिया था, जिन्होंने 23 जनवरी 2008 को उनकी पत्रिका में प्रकाशित एक खबर पर आपत्ति जताई थी।

कोर्ट ने गौरी को छह माह की सजा और 10 हजार का जुर्माना देना का आदेश दिया गया था। हालांकि, इस मामले में उन्हें जमानत मिली हुई थी। कर्नाटक के पुलिस प्रमुख आर के दत्ता ने कहा कि लंकेश ने उनके साथ कई मुलाकातों के दौरान अपने जीवन पर खतरा बताया था। मीडिया और सार्वजनिक क्षेत्र के लोगों ने ट्विटर पर लंकेश की हत्या पर निराशा जाहिर की।

गौरी लंकेश एक निडर पत्रकार के साथ-साथ प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता थीं जो व्यवस्था विरोधी, गरीब समर्थक और दलित समर्थक रुख रखती थीं। कन्नड़ पत्रकारिता में कुछ महिला संपादकों में शामिल गौरी प्रखर कार्यकर्ता थीं जो नक्सल समर्थक थीं और वामपंथी विचारों को खुले तौर पर प्रकट करती थीं। गौरी समाज की मुख्य धारा में लौटने के इच्छुक नक्सलियों के पुनर्वास के लिए भी काम कर चुकी थीं।

वर्ष 1962 में जन्मीं गौरी कन्नड़ पत्रकार और कन्नड़ साप्ताहिक टैबलॉयड ‘लंकेश पत्रिका’ के संस्थापक पी. लंकेश की बेटी थीं। उनकी बहन कविता और भाई इंद्रजीत लंकेश फिल्म और थियेटर हस्ती हैं। अपने भाई और पत्रिका के प्रोपराइटर तथा प्रकाशक इंद्रजीत से मतभेद के बाद उन्होंने लंकेश पत्रिका के संपादक पद को छोड़कर 2005 में कन्नड़ टैबलॉयड ‘गौरी लंकेश पत्रिका’ की शुरुआत की थी।

गौरी लंकेश जिस साप्ताहिक पत्रिका का संचालन करतीं थी, उसमे कोई विज्ञापन नहीं लिया जाता था। उस पत्रिका को 50 लोगों का एक ग्रुप चलाता था। इसके अलावा गौरी लंकेश कई समाचार पत्र-पत्रिकाओं में कॉलम भी लिखती थीं। गौरी लंकेश हिंदुत्ववादी राजनीति की मुखर आलोचक मानी जाती थी। बताया जा रहा है कि वैचारिक मतभेद को लेकर गौरी लंकेश कुछ लोगों के निशाने पर थी।

 

Previous articleपत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर भड़का बॉलीवुड और राजनीतिक गलियारा, वायरल हुआ गौरी का आखिरी ट्वीट
Next articleMan arrested for posing as Prime Minister Narendra Modi’s principal secretary