कर्नाटक में 12 मई को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे, जबकि 15 मई को नतीजे घोषित किए जाएंगे। अब आखिरी समय में सभी राजनीतिक दल सत्ता के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक चुके हैं। इस बार रेस कांग्रेस और बीजेपी के बीच मानी जा रही है, लेकिन जनता दल (सेक्यूलर) भी राज्य में प्रमुख पार्टी है। कांग्रेस जहां राज्य में वापसी के लिए हर हथकंडे को आजमा रही है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी 5 साल बाद फिर से राज्य में अपनी वापसी को लेकर आश्वस्त है।मतदान से तीन दिन पहले ‘जनता का रिपोर्टर’ के प्रधान संपादक व एडिटर इन चीफ रिफत जावेद ने लोगों के बीच जाकर चुनावी पारा मापने की कोशिश की है। रिफत जावेद ने शहरी और ग्रामीण इलाकों में जाकर युवा, बुजुर्ग और महिलाओं से बातचीत की है और जनता का मूड जानने की कोशिश की गई। रिफत जावेद के मुताबिक मतदाताओं से बातचीत में एक बात तो साफ तौर पर देखने को मिला कि मई 2013 में राज्य की सत्ता संभालने वाले सिद्धारमैया कर्नाटक के ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनकी लोकप्रियता आज भी बरकरार है।
रिफत जावेद के मुताबिक सूबे में बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर है, लेकिन कांग्रेस की स्थिति ज्यादा मजबूत है। जहां शहरी इलाकों में बीजेपी स्थिति ठीक है, वहीं ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस काफी मजबूत है। लोगों का कहना है कि कर्नाटक चुनाव में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और पीएम मोदी के बीच सीधे तौर पर प्रतियोगिता है। वहीं बीजेपी के सीएम पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा इस लड़ाई में कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं। दिल्ली की मीडिया पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा की जनता दल (सेक्युलर) को किंगमेकर की भूमिका में पेश कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है।
दरअसल, मतदाताओं को इस बात का आभासा हो गया है कि कर्नाटक में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में जेडीएस बीजेपी के साथ जा सकता है। यही वजह है कि लोगों का जेडीएस से भरोसा उठता जा रहा है और वे बीजेपी व कांग्रेस को ही मुख्य मुकाबले में देखना चाहते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी पिछले दिनों कहा था कि जेडीएस को ध्यान रखना होगा कि जेडीएस में ‘एस’ का मतलब सेक्युलर है या संघ परिवार। उन्होंने कहा था कि देवेगौड़ा को स्पष्ट करना होगा कि वे किस विचारधारा के साथ हैं।
कर्नाटक में सत्ता की कमान किसे मिलेगी? जानिए- रिफत जावेद की जुबानी
रिफत जावेद ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु और मैंगलुरु सहित राज्य के करीब 10 जिलों के लोगों से बातचीत के दौरान उनका मूड जानने की कोशिश की। रिफत जावेद के मुताबिक उन्होंने जिन जिलों का दौरा किया है उन इलाकों में बीजेपी की स्थिति मजबूत है। लेकिन लोगों से बातचीत के दौरान वह तब हैरान रह गए जब बीजेपी के कुछ समर्थक भी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की तारीफ करते हुए दिखाई दिए।
रिफत ने बताया कि बेंगलुरु के लोगों से बातचीत के दौरान वह हैरान हो गए क्योंकि राज्य में पांच साल सत्ता में रहने के बावजूद सिद्धारमैया की लोकप्रियता अभी भी बरकरार है। उनके मुताबिक कांग्रेस और पीएम मोदी दोनों के समर्थक सिद्धारमैया के फैन हैं। रिफत के मुताबिक उन्होंने पहली बार किसी राज्य में ऐसी स्थिति देखी है जहां विपक्ष के बीच भी सत्ता विरोधी लहर नहीं है।
इंदिरा कैंटीन की लोगों ने की तारीफ
बेंगलुरु के लोगों ने इंदिरा कैंटीन की जमकर तारीफ की है, क्योंकि यह गरीब लोगों के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है। रिफत के मुताबिक ऐसा नहीं है कि इंदिरा कैंटिन में सिर्फ गरीब और ऑटो वाले ही जाते हैं। बल्कि वहां बड़े-बड़े लोग भी भोजन करने जाते हैं। बता दें कि इंदिरा कैंटिन में 5 रुपये में ब्रेकफास्ट और 10 रुपये में लंच मिलता है।
इंदिरा कैंटीन के नाश्ते में सातों दिन इडली और साथ ही रवा खिचड़ी, पोंगल, वैंगीभात समेत दूसरे आयटम हफ्ते में एक दिन मिलता है। वहीं, इस कैंटीन में मात्र 10 रुपए में खाना भी मिलता है। लंच के दौरान राइस-सांभर, दही राइस, बिसी वेले राइस समेत कई वैरायटी मिलती हैं।
बेंगलुरु में अपनी सीट बचाने में कामयाब रहेंगे बीजेपी और कांग्रेस
रिफत जावेद के मुताबिक बेंगलुरु में जेडीएस का कोई आधार नहीं है। जबकि बीजेपी और कांग्रेस अपनी-अपनी सीटें बचाने में कामयाब हो जाएंगे। लेकिन जेडीएस के तीन विधायकों में से जो 2 विधायक कांग्रेस में शामिल हुए हैं इससे सत्ताधारी पार्टी को फायदा हो सकता है। साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार से पिछले कुछ रैलियों में पूर्व पीएम एच डी देवेगौड़ा की तारीफ में कसीदे पढ़े हैं उससे जेडीएस समर्थकों में नाराजगी है।
दरअसल, उन्हें शक हो गया है कि राज्य में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में जेडीएस प्रमुख पूर्व पीएम एच डी देवेगौड़ा और उनके बेटे एच डी कुमारास्वामी बीजेपी के साथ जा सकते हैं। बेंगलुरु के मतदाताओं में इस बात को लेकर जोरदार चर्चा चल रही है। उनका कहना है कि वह अपना वोट क्यों बर्बाद करें। रिफत के मुताबिक शहरी इलाकों में बीजेपी मजबूत है, लेकिन बैंगलुरु के बाहर ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस की जबरदस्त पकड़ है।
क्या है रामागरम की स्थिति?
जनता दल (जेडीएस) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी राज्य के कद्दावर नेताओं में शुमार हैं। कुमारस्वामी रामानगरम विधानसभा सीट से मैदान में हैं। विधानसभा सीट रामानगरम निर्वाचन क्षेत्र राजधानी बेंगलुरू से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रामानगरम जिला केंद्र एक तालुका भी है। विश्व भर में मशहूर मैसूर की रेशम साड़ियों को रामानगरम के रेशम का उपयोग करके ही बुना जाता है।
रिफत के मुताबिक कुमारस्वामी यहां काफी मशहूर हैं। यहां जेडीएस और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। जबकि इन जिलों में बीजेपी कहीं भी नहीं है। हालांकि इस बार लोगों का झुकाव जेडीएस से ज्यादा कांग्रेस की तरफ है। विशेषतौर से मुस्लिम समुदाय का झुकाव कांग्रेस की तरफ बढ़ रहा है। वहीं सिद्धारमैया सरकार को लेकर कुछ किसानों में नाराजगी है।
वीडियो में देखिए क्या है अन्य जिलो की स्थिति?