पिछले 23 सालों से हम देखते आ रहे हैं कि भारत के मशहूर न्यूज पोर्टल ‘जनता का रिपोर्टर’ के एडिटर-इन-चीफ रिफत जावेद ने अपने तीखे सवालों की वजह से सभी राजनेताओं को दुःख पहुंचाया है। ‘जनता का रिपोर्टर’ और रिफत जावेद बिना किसी दबाव के निष्पक्ष तरीके से जनता की भावनाओं को नेताओं तक पहुंचाने की हरसंभव कोशिश करते आ रहे हैं।हमारा मानना है कि पत्रकारिता का मकसद जनमानस को न सिर्फ नई सूचनाओं से अवगत कराना है बल्कि सरकारों द्वारा लिए गए फैसलों से उन पर क्या असर होगा, यह बताना भी है। पत्रकारिता के क्षेत्र में पदार्पण और उसके बाद के संघर्ष के बारे में 27 अक्टूबर को कोलकाता में ‘जनता का कॉन्क्लेव’ में बोलते हुए रिफत जावेद सार्वजनिक रूप से भावुक हो गए।
दरअसल, इस दौरान रिफत अपने अपने गुरु और स्टेटमैन के पूर्व संपादक माइकल फ्लैनेरी के पत्रकारिता में योगदान के लिए सम्मानित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने दिल खोल कर बातें कीं। रिफत ने उस पल को याद किया जब माइकल ने एक पत्रकार के रूप में रिफत की क्षमता पर विश्वास किया और उन्हें पहला ब्रेक दिया।
‘जनता का कॉन्क्लेव’ में मौजूद सैकड़ों लोगों के बीच रिफत ने अपने पत्रकारिता सफर में गुरु माइकल के योगदान के बारे में जिक्र करते हुए भावुक हो गए। इस दौरान सम्मेलन के मौजूद मुख्य अतिथि तृणमूल कांग्रेस के संसदीय दल के नेता और राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन भी अपनी भावनाओं को रोक नहीं पाए।
डेरेक ने कहा कि रिफत ने आज ‘गुरु-शिष्य’ की परंपरा को अविश्वसनीय रूप से नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि आज जो कुछ मैंने देखा वो आपकी भावना थी। टीएमसी सांसद ने कहा कि मैं आज बहुत खुश हूं कि दुनिया में आपके जैसे कुछ लोग अभी भी मौजूद हैं, जो अपने गुरू को इतना सम्मान देते हैं।
भारत में पत्रकारों की ताजा स्थिति पर रिफत जावेद का कहना है कि देश में मीडिया की आवाज को दबाने का एक षड्यंत्र रचा जा रहा है। सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों को आने वाले समय में कई अवसरों पर इससे भी जटिल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके बावजूद पत्रकारों को विभिन्न सच्चाइयों पर आंख मूंद लेने से बचना होगा।
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