सीबीआई में जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। सीबीआई को लेकर चल रहा विवाद सोमवार (19 नवंबर) को DIG रैंक के वरिष्ठ अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल तथा केन्द्रीय मंत्री हरिभाई पी चौधरी और केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के वी चौधरी का नाम लिए जाने के बाद और गहरा गया। सिन्हा ने इन पर सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच में कथित हस्तक्षेप के प्रयास करने के आरोप लगाए।
सीबीआई के डीआईजी एमके सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दावा किया है कि अजीत डोभाल ने राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच में दखलअंदाजी की। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ चल रही जांच में डोभाल ने हस्तक्षेप किया। सिन्हा ने अपनी याचिका में कहा है कि अस्थाना के घर पर सर्च करने से डोभाल ने उन्हें रोका था।
आपको बता दें कि सिन्हा, सीबीआई के उन अधिकारियों में शामिल थे जो सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर अस्थाना के ख़िलाफ़ जांच कर रहे थे और बाद में अक्टूबर में उनका अन्य अधिकारियों के साथ तबादला कर दिया गया था। सिन्हा ने आरोप लगाया कि रिश्वतखोरी के इस मामले में जो दो मध्यस्थ शामिल थे, वो डोभाल के करीबी थे। सिन्हा ने यह आरोप लगाया है कि अस्थाना रिश्वत मामले में शिकायतकर्ता, सना सतीश बाबू ने उन्हें बताया था कि कोयला और खान राज्य मंत्री हरिभाई पार्थिभाई चौधरी को संबंधित मामलों में कथित मदद के लिए कई करोड़ रुपये की रिश्वत का भुगतान किया गया था।
राहुल गांधी ने साधा निशाना
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार (20 नवंबर) को ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा है, “दिल्ली में ‘चौकीदार ही चोर’ नामक एक क्राइम थ्रिलर चल रहा है। नए एपिसोड में CBI के DIG द्वारा एक मंत्री, NSA, कानून सचिव और कैबिनेट सचिव के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। वहीं गुजरात से लाया उसका साथी करोड़ों वसूली उठा रहा है। अफ़सर थक गए हैं। भरोसे टूट गए हैं। लोकतंत्र रो रहा है।”
दिल्ली में 'चौकीदार ही चोर' नामक एक क्राइम थ्रिलर चल रहा है|
नए एपिसोड में CBI के DIG द्वारा एक मंत्री, NSA, कानून सचिव और कैबिनेट सचिव के खिलाफ गंभीर आरोप हैं।
वहीं गुजरात से लाया उसका साथी करोड़ों वसूली उठा रहा है|
अफ़सर थक गए हैं| भरोसे टूट गए हैं| लोकतंत्र रो रहा है| https://t.co/Tng5uu6m5q
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 20, 2018
मंत्रियों, सरकार के शीर्ष अधिकारियों के नाम आने से सनसनी
आपको बता दें कि सीबीआई के डीआईजी एमके सिन्हा मीट कारोबारी मोइन कुरैशी केस में सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर 2.95 करोड़ घूस लेने के आरोपों की जांच कर रहे थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। याचिका में उनका तबादला नागपुर किए जाने के आदेश को खारिज करने के बारे में तुरंत सुनवाई करने का आरोप लगाया गया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सिन्हा की ओर से पेश हुए वकील सुनील फर्नांडिस ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ से कहा कि उनके मुवक्किल ने याचिका में स्तब्ध करने वाले कुछ खुलासे किए हैं। उन्होंने अनुरोध किया कि मंगलवार को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के अनुरोध के साथ उनकी याचिका को भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल एवं न्यायमूर्ति के एम जोसेफ भी शामिल हैं। सिन्हा के वकील के इस अनुरोध पर पीठ ने कहा, ‘‘हम किसी भी चीज से स्तब्ध नहीं होते।’’ पीठ ने वकील से कहा कि जब वर्मा की याचिका पर सुनवाई हो तो वह न्यायालय में उपस्थित रहें। वर्मा ने अपनी याचिका में उनके अधिकार छीने जाने और उन्हें अवकाश पर भेजने के आदेश को चुनौती दी है।
सिन्हा ने दावा किया कि नागपुर में उनका तबादला करने से उन्हें अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी की जांच करने वाले दल से अलग कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह स्थानांतरण मनमाना, प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण है। इसका एकमात्र उद्देश्य अधिकारियों को शिकार बनाना है क्योंकि जांच से चंद ताकतवर लोगों के विरूद्ध पुख्ता सबूत मिले हैं।’’
आंध्र प्रदेश काडर के 2000 बैच के आईपीएस अधिकारी सिन्हा ने अपनी 34 पृष्ठों की याचिका में आरोप लगाया कि सीबीआई निदेशक ने अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के बारे में डोभाल को 17 अक्टूबर को जानकारी दी थी।
याचिका में कहा गया, ‘‘बाद में उसी रात को यह सूचित किया गया कि एनएसए ने राकेश अस्थाना को प्राथिमकी दर्ज होने के बारे में जानकारी दी। यह सूचित किया गया कि राकेश अस्थाना ने एनएसए से कथित तौर पर यह अनुरोध किया था कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए।’’ पुलिस उपाधीक्षक ए के बस्सी के शपथपत्र का समर्थन करते हुए सिन्हा ने दावा किया कि बस्सी ने रिश्वत मामले (अस्थाना से संबंधित) में जन सेवकों पर तुरंत छापे मारे जाने का समर्थन किया था। लेकिन सीबीआई के निदेशक ने तुरंत अनुमति नहीं दी और कहा कि एनएसए ने इसके लिए अनुमति नहीं दी।
गौरतलब है कि बस्सी को अंडमान एवं निकोबार स्थानांतरित कर दिया गया है। सीबीआई ने मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से संबंधित एक मामले की जांच के दौरान आरोपी मनोज प्रसाद से कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। सिन्हा ने कहा कि बिचौलिये मनोज प्रसाद से पूछताछ के दौरान डोभाल तथा भारत की खुफिया एजेंसी रा के विशेष निदेशक एस के गोयल का नाम सामने आया।
सिन्हा ने कहा, ‘‘मनोज प्रसाद के अनुसार उसके पिता दिनेश्वर संयुक्त सचिव के तौर पर सेवानिवृत्त हुए थे और उनकी डोभाल से अच्छी पहचान थी। सीबीआई मुख्यालय लाने पर मनोज ने सबसे पहले यही दावा किया था। उसने इस बात पर आश्चर्य और क्रोध जताया कि उसे सीबीआई कैसे पकड़ सकती है जबकि डोभाल से उसके करीबी संबंध हैं।’’
उन्होंने कहा कि मनोज ने सीबीआई अधिकारियों पर तंज कसा और उनसे ‘सीमाओं में रहने’ को कहा।
मंत्री पर रिश्वत का आरोप
अस्थाना की शिकायत करने वाले हैदराबाद निवासी सतीश बाबू सना ने उन्हें यह भी बताया था कि गुजरात से सांसद और मौजूदा कोयला व खनन राज्यमंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी को भी कुछ करोड़ रिश्वत दी गई थी। सिन्हा ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) पर भी दखल के आरोप लगाए। सिन्हा का आरोप है कि जांच में राकेश अस्थाना को मदद पहुंचाने के लिए ही उन्हें नागपुर भेजा गया। मौजूदा कोयला-खनन राज्यमंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी को भी कुछ करोड़ रिश्वत दी गई थी। उनके दफ्तर ने ऐसे किसी केस में शामिल होने से इनकार किया है।