केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने वायु सेना के लिए 36 राफेल लड़ाकू विमान सौदे की कीमत का जो ब्योरा सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा हैं, उस पर बुधवार (14 नवंबर) को पूरे दिन सुनवाई हुई। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ इस मामले में अहम सुनवाई की, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने अपनी-अपनी दलीलें पेश की। याचिकाकर्ताओं ने सौदे की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदा मामले की अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराए जाने संबंधी विभिन्न याचिकाओं पर विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। इससे पहले न्यायालय ने स्पष्ट किया कि लड़ाकू विमान की कीमतों के बारे में अदालत में बहस का तब तक सवाल नहीं उठता जब तक इस बात का निर्णय न हो जाए कि कीमत की जानकारी सार्वजनिक की जा सकती है या नहीं।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए भारतीय वायुसेना के एक शीर्ष अधिकारी को बुधवार को तलब किया। खंडपीठ में पेशे से वकील मनोहर लाल शर्मा, विनीत ढांडा और प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी एवं यशवंत सिन्हा सहित विभिन्न याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई हुई। पहले शर्मा और ढांडा ने जिरह की, उसके बाद प्रशांत भूषण ने खुद अपनी ओर से तथा शौरी एवं सिन्हा की ओर से अपनी दलीलें पेश की।
समाचार एजेंसी यूनिवार्ता के मुताबिक, सुनवाई के दौरान न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अदालत में राफेल की कीमत में बारे में बहस का तब तक कोई सवाल नहीं उठता, जब तक यह निर्णय नहीं हो जाता कि कीमतों के बारे में जानकारी सार्वजनिक की जानी है या नहीं। न्यायालय ने लंच से पहले केंद्र की ओर से पेश एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से पूछा कि क्या अदालत में भारतीय वायु सेना का कोई अधिकारी मौजूद है, क्योंकि वह उस अधिकारी से कुछ जानकारी लेना चाहता है।
न्यायालय ने वायु सेना के किसी अधिकारी को अदालत कक्ष में पेश करने का निर्देश दिया। लंच के बाद जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, एयर वाइस मार्शल टी चलपती अदालत कक्ष में न्यायालय के सवालों के जवाब देने के लिए मौजूद थे। उनके साथ वायुसेना के कुछ अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। खंडपीठ ने वायुसेना अधिकारी से कई महत्वपूर्ण सवाल किए, जिनमें वायुसेना के लिए समय-समय पर हुई खरीद और उसकी प्रक्रिया आदि से जुड़े प्रश्न शामिल थे। अधिकतर याचिकाकर्ताओं ने राफेल सौदे की जांच अदालत की निगरानी में एसआईटी से कराने की मांग की है।
किसने क्या कहा?
प्रशांत भूषण ने रक्षा खरीद प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय वायु सेना को 126 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता थी और उसने इनके लिये रक्षा खरीद परिषद को सूचित किया था। शुरू में छह विदेशी कंपनियों ने आवेदन किया था परंतु शुरूआती प्रक्रिया के दौरान दो कंपनियों को ही अंतिम सूची में शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि यह सौदा बाद में फ्रांस की दसाल्ट कंपनी को मिला और सरकार के स्वामित्व वाला हिन्दुस्तान ऐरोनाटिक्स लिं इसका हिस्सेदार था। लेकिन अचानक ही एक बयान जारी हुआ जिसमें कहा गया कि तकनीक का कोई हस्तांतरण नहीं होगा और सिर्फ 36 विमान ही खरीदे जाएंगे।
समाचार एजेंसी भूषण ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा इस सौदे में किए गए कथित बदलाव के बारे में कोई नहीं जानता। यहां तक कि रक्षा मंत्री को भी इसकी जानकारी नहीं थी। इस मामले में याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा और अधिवक्ता विनीत ढांडा तथा आप पार्टी के सांसद संजय सिंह के वकील ने भी भूषण से पहले बहस की। शर्मा ने बहस शुरू करते हुए अंतर-सरकार समझौते को गैरकानूनी बताया और सारे मामले की जांच का अनुरोध किया
इसी तरह, ढांडा ने राफेल सौदे में उनकी याचिका में उठाए गए बिन्दुओं पर सरकार से सही जवाब देने का अनुरोध किया। वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता के वकील धीरज सिंह ने राफेल लड़ाकू विमानों की संख्या 126 से घटाकर 36 करने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार को इनकी संख्या बढ़ानी चाहिए। भूषण और सिंह ने कहा कि 36 विमानों के सौदे पर हस्ताक्षर हुए साढ़े तीन साल बीत चुके हैं लेकिन अभी तक एक भी विमान भारत को नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि पहला विमान सितंबर, 2019 में आना है और इनकी आपूर्ति 2022 तक जारी रहेगी।
- राफेल पर सुनवाई LIVE: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि फ्रांसीसी सरकार ने 36 राफेल विमानों की कोई गारंटी नहीं दी है, लेकिन फ्रांस के प्रधानमंत्री ने लेटर ऑफ कम्फर्ट जरूर दिया है।
- राफेल पर सुनवाई LIVE: सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव से पूछा कि 2015 में ऑफसेट नियमों में क्यों बदलाव किया गया? इसमें देशहित क्या है? अगर ऑफसेट पार्टनर कोई उत्पादन नहीं करते तो क्या किया जाएगा?
- सुप्रीम कोर्ट 2015 के ऑफसेट नियमों के बारे में पूछा। रक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ने ऑफसेट नियमों की जानकारी दी और कहा कि वर्तमान में मुख्य कॉन्ट्रैक्ट के साथ ही ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट भी होता है।
- राफेल पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई LIVE: केंद्र सरकार की ओर से एजी केके वेणुगोपाल ने कहा, ‘केवल प्लेन की कीमतों का खुलासा संसद में किया गया था लेकिन हथियारों से लदे राफेल की कीमतों का खुलासा किसी भी मंच पर नहीं किया गया है।’
- CJI रंजन गोगोई ने AG केके वेणुगोपाल से पूछा कि क्या कोर्ट में भारतीय वायुसेना का कोई अधिकारी मौजूद है जो मामले पर उठे सवालों के संदर्भ में जवाब दे सके? आखिरकार हम वायुसेना के मामले के बारे में बातचीत कर रहे हैं इसलिए हमें उनसे पूंछना चाहिए।
- राफेल पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई LIVE: याचिकाकर्ता अरुण शौरी ने कहा कि तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने खुद घोषणा की थी कि राफेल डील PM मोदी का निर्णय था। यह दिखाता है कि रक्षा मंत्रालय लूप में नहीं था।
- राफेल पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई LIVE: याचिकाकर्ता अरुण शौरी ने राफेल सौदे और कीमत न बताने पर उठाया सवाल।
- राफेल सौदा विवाद LIVE: प्रशांत भूषण ने कहा कि राफेल मामले में CBI जांच होनी चाहिए। इसमें रक्षा सौदे की तय प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ है।
- राफेल सौदा विवाद LIVE: वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि संसद में खुद कीमत का ऐलान करने के बाद सरकार अब कीमतों पर सीक्रसी ईशू का तर्क नहीं दे सकती। सरकार का यह कहना भी यह एक बोगस क्लेम है। नई डील की कीमत 40 प्रतिशत ज्यादा है।
- राफेल सौदा विवाद LIVE: वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार ने ऑफसेट प्रावधान को 2015 में बदल दिया और डसॉल्ट को ऑफसेट पार्टनर चुनने का अधिकार दे दिया और बाद में यह कहने लगी कि हमें नहीं पता कि ऑफसेट पार्टनर कैसे चयनित हुआ, पुराने प्रावधान में यह पार्टनर सरकार की मर्जी से चुना जाता था।
- राफेल सौदा विवाद LIVE: वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि फ्रांससी सरकार की ओर से डील के सबंध में कोई सॉवरेन गारंटी नहीं थी। रक्षा मंत्री को सौदे में हुए बदलावों के बाद में पूरी जानकारी नहीं थी। 4 साल में एक भी विमान नहीं आया, देश के साथ राफेल डील के नाम पर धोखा हुआ है।
- राफेल सौदा विवाद LIVE: वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- जो पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी (राफेल डील के याचिकाकर्ताओं में से एक) की तरफ से दलील दे रहे हैं ने कोर्ट को बताया कि केवल तीन परिस्थितियों में ही अंतर-सरकारी रास्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- राफेल डील केस: याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट से यह पता चलता है कि मई 2015 के बाद निर्णय लेने में कई गंभीर घोटाले किए गए हैं। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि 5-जजों की बेंच इसपर सुनवाई करे।
- AAP नेता संजय सिंह के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 36 राफेल विमानों की कीमतों का खुलासा ससंद में दो बार किया जा चुका है इसलिए सरकार के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि कीमतों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।