रामनाथ कोविंद ने मंगलवार(25 जुलाई) को भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस खेहर ने उन्हें संसद के केंद्रीय हाल में संविधान की रक्षा और पद और गोपनियता की शपथ दिलाई।
शपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद ने कहा कि मैं एक छोटे से गांव से आया हूं, मैं एक मिट्टी के घर में पला बढ़ा हूं। उन्होंने देश की जनता का आभार भी जताया है। साथ ही उन्होंने कहा कि, कहा कि हमारे देश में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का पालन किया जाता रहा है, मैं भी इसका पालन करता रहूंगा।
आगे उन्होंने कहा मैं डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब दा के कदमों पर चलने जा रहा हूं। इस दौरान रामनाथ कोविंद ने आजादी की लड़ाई का उल्लेख करते हुए महात्मा गांधी को भी याद किया।
रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति बनने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोक सभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, न्यायमूर्ति जेएस खेहर इत्यादि को धन्यवाद कहा। साथ ही राष्ट्रपति ने डिजिटल इंडिया का जिक्र करते हुए कहा कि डिजिटल इंडिया देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
साथ ही उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर को याद करते हुए कहा कि डॉ अंबेडकर ने कहा था कि केवल स्वतंत्रता ही काफी नहीं बल्कि सामाजिक, आर्थिक स्वतंत्रता भी जरूरी है। हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जिसकी कल्पना महात्मा गांधी ने की थी, पूरी दुनिया भारत की परंपरा और आधुनिकता के प्रति आकर्षित है।
राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोक सभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। शपथ समारोह में कई राज्य के सीएम भी मौजूद हैं। शपथ ग्रहण के बाद नए राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी गई। बता दें कि, राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले रामनाथ कोविंद ने राजघाट पहुंच कर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी थी।
बता दें कि, गुरुवार(21 जुलाई) को भारी बहुमत से उन्हें देश का 14वां राष्ट्रपति निर्वाचित घोषित किया गया। राष्ट्रपति चुनाव के लिये निर्वाचन अधिकारी अनूप मिश्रा ने बताया कि कोविंद ने विपक्ष की उम्मीदवार एवं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को पराजित किया।
जानिए भारत के नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बारे में?
अपने लंबे राजनीतिक जीवन में शुरू से ही अनुसूचित जातियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों तथा महिलाओं की लड़ाई लड़ने वाले कोविंद राष्ट्रपति चुनाव से पहले बिहार के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे। बीजेपी दलित मोर्चा तथा अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष रह चुके कोविंद बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं। कोविंद बेहद कामयाब वकील भी रहे हैं।
उन्होंने वर्ष 1977 से 1979 तक दिल्ली हाईकोर्ट में, जबकि 1980 से 1993 तक सुप्रीम कोर्ट में वकालत की। सामाजिक जीवन में सक्रियता के मद्देनजर वह अप्रैल, 1994 में राज्यसभा के लिए चुने गए और लगातार दो बार मार्च 2006 तक उच्च सदन के सदस्य रहे। कोविंद उत्तर प्रदेश से पहले राष्ट्रपति होंगे।
कानपुर देहात के घाटमपुर स्थित परौंख गांव में 1 अक्टूबर, 1945 को जन्मे कोविंद राज्यसभा सदस्य के रूप में अनेक संसदीय समितियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। खासकर अनुसचित जाति-जनजाति कल्याण संबंधी समिति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा कानून एवं न्याय संबंधी संसदीय समितियों में वह सदस्य रहे। कोविंद ने संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है और अक्टूबर, 2002 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था।