गुरुग्राम में रयान इंटरनेशनल स्कूल परिसर में सात वर्षीय स्कूली छात्र प्रद्युम्न की की निर्मम हत्या के संबंध में गुरुग्राम पुलिस ने स्कूल के दो शीर्ष अधिकारियों को सोमवार(11 सितंबर) को गिरफ्तार किया और कहा कि मामले में सबूत नष्ट करने का प्रयास किया गया। जबकि इस पूरे मामले पर राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो चुका है। असवेंदनशील होते समाज को इस निर्मम हत्या पर मशहूर गीतकार और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने बेहद मार्मिक कविता लिखी है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।
साल वर्षीय मासूम छात्र प्रद्युम्न की हत्या पर प्रसून जोशी ने लिखा-
जब बचपन तुम्हारी गोद में आने से कतराने लगे,
जब माँ की कोख से झाँकती ज़िन्दगी,
बाहर आने से घबराने लगे,
समझो कुछ ग़लत है ।
जब तलवारें फूलों पर ज़ोर आज़माने लगें,
जब मासूम आँखों में ख़ौफ़ नज़र आने लगे,
समझो कुछ ग़लत है
जब ओस की बूँदों को हथेलियों पे नहीं,
हथियारों की नोंक पर थमना हो,
जब नन्हें-नन्हें तलुवों को आग से गुज़रना हो,
समझो कुछ ग़लत है
जब किलकारियाँ सहम जायें
जब तोतली बोलियाँ ख़ामोश हो जाएँ
समझो कुछ ग़लत है
कुछ नहीं बहुत कुछ ग़लत है
क्योंकि ज़ोर से बारिश होनी चाहिये थी
पूरी दुनिया में
हर जगह टपकने चाहिये थे आँसू
रोना चाहिये था ऊपरवाले को
आसमान से
फूट-फूट कर
शर्म से झुकनी चाहिये थीं इंसानी सभ्यता की गर्दनें
शोक नहीं सोच का वक़्त है
मातम नहीं सवालों का वक़्त है ।
अगर इसके बाद भी सर उठा कर खड़ा हो सकता है इंसान
तो समझो कुछ ग़लत है
रेयान इंटरनेशनल स्कूल में हुई 7 साल के मासूम की हत्या केवल एक मीडिया की खबरभर नहीं है बल्कि हमारे आस-पास सिस्टम में मौजूद उन सब लोगों पर एक इशारा है जो यौन उत्पीड़न की घटनाओं को अंजाम देते है। अगर हम सोचते है कि यह सिर्फ रेयान इंटरनेशनल स्कूल की बात है, हमारा बच्चा जिस स्कूल में जाता है वहां ऐसा कुछ नहीं हो सकता है तो यह हमारी गलतफहमी है।
आपको बता दे कि रेयान इंटरनेशल की इस हटना के बाद राजनीति का दौर शुरू हो चुका है। शिक्षा मंत्री सहित बीजेपी के अन्य नेताओं ने आश्वासन दिया है कि दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन क्या बीजेपी और शिक्षा मंत्री को स्कूलांे के उस सिस्टम में भी कोई खामी नज़र आती है या नहीं।
7 वर्षीय मासूम की हत्या के बाद स्कूल की प्रिंसिपल और अंजू मेडम बच्चे की मां ज्योति ठाकुर से मिलने उसने घर गई थी और बात को रफा-दफा करने की कोशिश की। स्कूल प्रशासन ने भी प्रिंसिपल को निलम्बित कर अपना पल्ला झाड़ लिया है। इस बारे में अपनी सहमति जताते हुए मनोचिकित्सकों का कहना है कि बच्चों के साथ यौन शोषण करने वाले हमारे आसपास ही होते है लेकिन हमें उनके नज़रिये को पहचानने की जरूरत है।
आमतौर पर घरों में, स्कूलों में या अन्य ऐसी जगहों पर जो लोग काम करते है अगर वह यौन भावना से ग्रसित है तो अपने मोबाइल में ऐसी अश्लील वीडियो देखते है या फिर इस प्रकार का गंदा साहित्य पढ़ते है उसके बाद वह लोग अपनी इच्छाओं की पुर्ति के लिए अपना शिकार तलाश करते है। जब उन्हें कुछ नहीं मिलता तो वह आसपास मौजूद मासूम बच्चों को अपना निशाना बनाते है। बहुत सारे मामलों पर बच्चों पर हुए यौन हमलों में यह एक सामान्य कारण पाया गया।
अपने कीमती समय को बेचते हुए मीडिया अगले एक या दो दिन और इस खबर को दिखाएंगा फिर उसके बाद कहीं कोई जिक्र इस बात का नहीं होगा। नेता भी रस्म को निभाते हुए अपनी घोषणाएं कर चुके है। लेकिन क्या सिस्टम में मौजूद इस गम्भीर समस्या के निदान के बारें में भी कहीं कोई चर्चा होती है।