केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने वादा किया था कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत साल 2022 तक देश के सभी नागरिकों को घर मुहैया कराए जाएंगे। लेकिन जो हकीकत सामने आए हैं इस हिसाब से देखें तो पीएम मोदी की इस महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोगों को घर देने की प्रक्रिया काफी धीरे चल रही है। बीते तीन साल के आंकड़े बताते हैं कि प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत मात्रा 8 फीसदी लक्ष्य ही पूरा किया जा सका है।
जी हां, टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक देश के सभी नागरिकों को रहने के लिए अपना घर मुहैया कराने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना’ के तहत तीन साल में महज 8 फीसदी ही मकान बनाने का काम पूरा किया जा सका है। जबकि शहरी क्षेत्रों में 3 साल में सरकार ने 40.6 लाख मकानों को बनाने का वादा किया था, लेकिन अब तक इनमें से महज 3 लाख यानी 8 फीसदी ही मकान तैयार हो पाया है।
हालांकि, अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक शहर के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में स्थिति थोड़ी बेहतर है। ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत तय किए गए 95.4 लाख मकानों में से 30 प्रतिशत यानी 28.8 लाख घर तैयार कर दिए गए हैं।यही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण विकास मंत्रालय ने यह योजना शुरू होने के 15 महीने के भीतर ही लक्ष्य हासिल कर लिया। बता दें कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने योजना लागू होने के 15 महीनों में करीब 95.4 लाख मकान बनाने की बात कही थी।
केंद्रीय शहरी विकास और ग्रामीण विकास मंत्रालयों की वेबसाइट पर ये आंकड़े उपलब्ध हैं। डेटा के मुताबिक सरकार शहरी क्षेत्रों में 40.6 लाख मकानों के निर्माण के लिए 8,341 परियोजनाओं पर काम कर रही है। 18 लाख मकानों पर काम चल रहा है यानी योजना के तहत 44 प्रतिशत लक्ष्य पूरा किया जा सकता है। हालांकि डेटा में यह बात स्पष्ट नहीं है कि इन मकानों का निर्माण कितना हो चुका है। जिन मकानों पर काम पूरा हो चुका है, उनमें से करीब 3 लाख में लोगों ने रहना शुरू कर दिया है।
बता दें कि पीएम मोदी ने 25 जून, 2015 को महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना शुरू की थी। इसके तहत 2022 तक शहरी गरीबों के लिए 2 करोड़ घर तैयार करने की योजना थी। उस वक्त पीएम मोदी ने देशवासियों से वादा किया था कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर देश के हर नागरिक के पास अपना घर होगा। लेकिन जिस रफ्तार से आवासों का निर्माण कार्य चल रहा है, उसके हिसाब से सरकार 2022 तक महज 2 फीसदी ही काम पूरा कर पाएगी। इस योजना के तहत शहरी निकायों और अन्य एजेंसियों को केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से मदद मुहैया कराती है। इन आवासों के निर्माण को 4 श्रेणियों में बांटा गया है।